रायपुर। राज्य शासन से अनुमति लिए बिना एक आईएएस ने भर्ती नियम को ही बदल दिया। इससे चहेते को नियुक्ति करने की आशंका को बल मिल रहा है। दरअसल, मनरेगा आयुक्त भीम सिंह ने मनरेगा में दो पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। इसमें छत्तीसगढ़ के निवासी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
मनरेगा आयुक्त भीम सिंह ने 22 मार्च 2019 को छत्तीसगढ़ संवाद को एक पत्र भेजा था, जिसमें मनरेगा के अंतर्गत विशेषज्ञ के एक, डीबीटी नोडल अधिकारी के एक और कार्यक्रम समन्वयक के एक पद के लिए 30 मार्च तक आवेदन मंगाए गए थे।
इसमें उन्होंने लिखा था कि डीबीटी नोडल अधिकारी और राज्य कार्यक्रम अधिकारी पद के लिए नियम व शर्तें के बिंदु क्रमांक 4 में आवेदन को छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी और सक्षम अधिकारी द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र स्वप्रमाणित या राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य शर्त को विलोपित किया जाता है। यह मामला सामने आते ही पंचायत विभाग में हड़कंप मच गया। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव की नाराजगी को देखते हुए मामले में मनरेगा आयुक्त भीम सिंह से जवाब मांगा गया है। नोटिस में कहा गया है कि बगैर अनुमति के नियम परिवर्तित करने पर क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। वहीं, वापस छत्तीसगढ़ मूल निवासी की अनिवार्यता की शर्त को इन पदों पर नियुक्ति के लिए जोड़ा गया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ भर्ती नियम के मुताबिक राज्य का मूल निवासी होना आवश्यक है। इसके साथ ही सक्षम अधिकारी द्वारा जारी मूल निवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक है।
इसलिए अनिवार्यता की खत्म
डीबीटी नोडल अधिकारी और राज्य कार्यक्रम अधिकारी इन दोनों पदों के लिए आयुक्त भीम सिंह ने मूल निवासी होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। दरअसल, डीबीटी नोडल अधिकारी के लिए वेतन 1 लाख 20 हजार रुपए प्रतिमाह एकमुश्त और राज्य कार्यक्रम अधिकारी के पद के लिए 1 लाख रुपए प्रतिमाह एकमुश्त निर्धारित है।