दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने लोकसभा चुनावों के बीच यूपी की सभी 80 सीटों पर जाकर सर्वे किया है। छात्रों ने यूपी के अलग-अलग इलाकों के 38 हजार मतदाताओं से बात कर यह पोल तैयार किया है। इस पोल के मुताबिक, 44 प्रतिशत लोग राज्य में हुए सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन करते हैं। वहीं सर्वे में लोगों को मानना है कि, प्रियंका गांधी(Priyanka Gandhi) के आने से यूपी में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। सर्वे के अनुसार, फरवरी में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी (SP-BSP) के बीच गठबंधन की घोषणा के बाद राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की लोकप्रियता में गिरावट आई है। सर्वे के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में दो महत्वपूर्ण पार्टियों के गठबंधन के बाद मुस्लिम, यादव और दलित वोटर एक साथ आ गए हैं। इस गठबंधन में जाट वोटरों पर पकड़ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के अजीत सिंह भी शामिल हैं।
44 प्रतिशत लोगों ने सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन किया
44 प्रतिशत लोगों ने सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन किया
सर्वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के 25 छात्रों के एक समूह द्वारा तीन महीने में किया गया। सर्वे के दौरान, छात्रों ने मतदाताओं की मनोदशा और आकांक्षाओं को समझने के लिए राज्य की 80 लोकसभा सीटों में लगभग 38,000 लोगों का इंटरव्यू किया। सर्वेक्षण में शामिल 37,439 लोगों में से, 13,974, यानि 37 प्रतिशत लोगों ने भाजपा पक्ष में समर्थन व्यक्त किया। जबकि 16,341 यानि 44 प्रतिशत लोगों ने सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन किया। शेष 7,124 लगभग 19 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस (15 प्रतिशत) और अन्य (स्वतंत्र और क्षेत्रीय दलों) के लिए अपना समर्थन जाहिर किया। सर्वे के अनुसार, गठबंधन बनाने के बाद यूपी में स्थानीय पार्टियों की लोकप्रियता में खासा उछाल देखने को मिला है।
कांग्रेस का प्रियंका कार्ड हुआ फेल
पिछले चुनाव में कांग्रेस यूपी में केवल दो सीटे ही जीत सकी थी। जिसके बाद राज्य में अपना जनाधार खो चुकी पार्टी ने प्रियंका गांधी को राजनीति के मैदान में उतारा है। इस साल की शुरुआत में पार्टी ने उन्हें पार्टी का महासचिव बनाकर पूर्वी यूपी का प्रभार सौपा था। पार्टी को उम्मीद है कि, उनके आने से पार्टी के राज्य में अच्छा करने की संभावना है। वहीं सर्वे के मुताबिक, प्रियंका गांधी के यूपी में आने से पार्टी को कोई खास फायदा नहीं होता दिख रहा है।
बीजेपी समर्थकों में मोदी अभी भी लोकप्रिय, लेकिन बेरोजगारी बड़ा मु्द्दा
सर्वे लीडर के मुताबिक, भाजपा और नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वाले लोगों ने पुलवामा हमले के बदले में सरकार द्वारा कार्रवाई को सराहा है। सर्वे में कहा गया है कि, पार्टी इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि लोगों को लगता है कि वह (भाजपा) दुश्मन पाकिस्तान के खिलाफ मजूबती से खड़े हैं। वहीं बीजेपी के समर्थकों को यह भी चिंता है कि, लगातार बेजरोजगारी बढ़ रही है, राफेल के लेकर पार्टी घिरी हुई है। वहीं किसानों के आय में कमी देखने को मिला है। ऐसे कई मुद्दे बीजेपी समर्थकों को परेशान कर रहे हैं। इसलिए, हमने यह निष्कर्ष निकाला कि 2014 के चुनाव की तुलना में इस राज्य के लोगों के बीच मोदी की लोकप्रियता कम हुई है।
पश्चिमी यूपी में महागठबंधन का पलड़ा भारी
अगर क्षेत्रवार आंकड़ो को देखा जाए तो पश्चिमी यूपी (जिसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, बदायूं और पीलीभीत जैसे क्षेत्र शामिल हैं) के 51 प्रतिशत लोगों ने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का समर्थन किया है। जबकि केवल 29 प्रतिशत ने भाजपा के लिए समर्थन व्यक्त किया। पश्चिमी यूपी के लिए वोटिंग लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में पूरी हो चुकी है। अगर बात मध्य यूपी के करें जिसमें राज्य की राजधानी लखनऊ, फर्रुखाबाद और रायबरेली जैसे निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। यहां के 46 प्रतिशत मतदाताओं ने गठबंधन का समर्थन किया, जबकि 33 प्रतिशत ने भाजपा का समर्थन किया। राज्य का पूर्वी हिस्सा (जिसमें मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर शामिल है) अभी भी सत्तारूढ़ भाजपा का गढ़ है। पूर्वी यूपी में 50 प्रतिशत लोगों ने भाजपा का समर्थन किया जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने गठबंधन को अपना समर्थन दिया।