दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन ”समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि वे गलत कृत्यों का खुलासा करने में मदद करते हैं और मानहानि कानून को प्रेस तथा मीडिया का गला घोंटने, उन्हें दबाने और चुप कराने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि यह भुलाया नहीं जा सकता कि मानहानि कानून में संविधान द्वारा प्रदत्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध लगाने की क्षमता है और यह सुनिश्चित करना अदालत का कर्तव्य है कि मानहानि कानून का दुरुपयोग ना किया जाए।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने इंडियन पोटेश लिमिटेड (आईपीएल) के एक मानहानि मुकदमे को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। आईपीएल केंद्र सरकार का उपक्रम है और उसने एक समाचार चैनल के मालिक तथा संपादक से 11 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी थी। समाचार चैनल पर 27-28 अप्रैल को एक कार्यक्रम प्रसारित हुआ था जो कि एक स्टिंग ऑपरेशन था जिसमें दिखाया गया था कि कंपनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कथित तौर पर मिलावटी या सिंथेटिक दूध बेच रही है।
अदालत ने कहा कि कंपनी ने यह साबित नहीं किया कि उसकी मानहानि हुई या इस से नतीजे भुगतने पड़े। अदालत ने कहा, ”हाल फिलहाल में स्टिंग ऑपरेशन तकनीक के क्षेत्र में हुई वृद्धि का नतीजा है जो लक्षित व्यक्ति की जानकारी में आए बगैर वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड करने की अनुमति देता है। ऐसे स्टिंग ऑपरेशनों का अपना स्थान है और वे आज समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।”