अक्सर लोगों से यह सुनने को मिलता है कि एटीएम से पैसा निकालने गए तो पैसा तो निकला नहीं, लेकिन खाते से रकम जरूर कट गई। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि कुछ मामलों में तो पैसा खाते में दोबारा से 24 घंटे के भीतर आ जाता है। लेकिन ज्यादातार मामलों में लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है।
आरबीआई के नियमों का नहीं होता है पालन
बैंक ग्राहकों को इस तरह की शिकायतों को निपटाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कई तरह के नियम बनाए हैं, लेकिन इनका पालन बैंक के अधिकारी ही नहीं करते हैं। बैंक अधिकारियों को ग्राहकों की ऐसी शिकायतों को लेना एक तरह का झंझट भरा काम लगता है। कई बार उपभोक्ताओं को डराने के लिए बैंक कई तरह के दस्तावेज भी मांगते हैं। उनसे जांच के दौरान वीडियो क्लिप के लिए शुल्क भी लिया जाता है। सभी बैंकों को एटीएम परिसर में संपर्क अधिकारियों के फोन नंबर, नाम, हेल्पडेस्क नंबर और बैंक के टोल फ्री नंबर की जानकारी चस्पा करना अनिवार्य है। एटीएम में शिकायत का रजिस्टर और बॉक्स भी होना चाहिए।
ग्राहक छोड़ देते हैं पैसा
ग्राहक ऐसे पैसे को वापस लेने के लिए क्लेम भी नहीं करते हैं, क्योंकि बैंकों के चक्कर काटते-काटते वो परेशान हो जाते हैं। पिछले पांच सालों में देश के विभिन्न बैंकों में कुल 7457 केस आए हैं। हालांकि केवल 544 केस में ही ग्राहकों को रकम वापस मिली है।
बैंक क्यों नहीं लेते शिकायत
बैंक में जब ग्राहक इस तरह का कोई केस लेकर के जाता है, तो उसे लगता है कि बैंक का ग्राहक होने के कारण मैनेजर अथवा क्लर्क उनकी मदद करेंगे। हालांकि शुरुआती मदद में अधिकारी भी केवल उनका खाता चेक करने के बाद कह देते हैं कि यह सही एंट्री दर्ज हुई है। ग्राहकों के बार-बार जोर देने पर भी शिकायतकर्ता को टहला कर वापस भेज दिया जाता है। ज्यादातर बैंकों में अधिकारी झंझट से बचने के लिए हेल्प नहीं करते हैं। उपभोक्ता की शिकायत को लेकर उन्हें इंतजार करने के लिए कह दिया जाता है।
एटीएम से लें स्लिप
ग्राहकों को एटीएम पर ट्रांजेक्शन करने के बाद उसकी स्लिप जरूर लेनी चाहिए। यह आपके पास एक पुख्ता सबूत होता है, कि आपने संबंधित एटीएम से ट्रांजेक्शन किया है। हालांकि अब मोबाइल में भी एसएमएस आ जाता है। इसको भी आप सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं।
पैसा निकालते समय अगर स्लिप नहीं निकली है तो बैंक स्टेटमेंट की फोटोकॉपी लगानी होगी। आपको उस बैंक से संपर्क साधना है, जहां आपका खाता है। बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके या वेबसाइट पर लिखित शिकायत कर सकते हैं। एटीएम से पैसा न निकले तो 30 दिन में शिकायत करनी होगी।
उपभोक्ता फोरम अंतिम विकल्प
हालांकि ऐसे मामलों में जल्दबाजी करना भी मुश्किल हो सकता है। ऐसे केस को सुलझाने के लिए ग्राहकों के पास तीन विकल्प होते हैं। पहला बैंक की शाखा, दूसरा आरबीआई और तीसरा उपभोक्ता फोरम। अक्सर लोग बैंक में जाने के बाद सीधे उपभोक्ता फोरम चले जाते हैं और दूसरे विकल्प का इस्तेमाल ही नहीं करते हैं। अगर बैंक में सुनवाई न हो, तो फिर इसके बाद सीधे आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल के पास लिखित में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। यह बैंक द्वारा 30 दिन में समस्या का समाधान न करने पर किया जा सकता है।
क्या कहता है आरबीआई का नियम
अगर खाते से पैसा कट गया है और एटीएम से पैसा नहीं निकला है तो सबसे पहले कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। इसके बाद बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र को शिकायत तुरंत संज्ञान में लेनी चाहिए।
बैंक को देना होगा हर्जाना
बैंक को पीड़ित ग्राहक को शिकायत संख्या बतानी होगी। शिकायत दर्ज होने के बाद कार्ड जारी करने वाले बैंक को सात दिन के अंदर खाते में पैसा क्रेडिट करना अनिवार्य है। अगर पैसा नहीं आता है तो बैंक को हर्जाना देना होगा। वर्ष 2011 से लागू आरबीआई के नियमों के अनुसार देरी की स्थिति में बैंक को 100 रुपये रोजाना के हिसाब से हर्जाने का प्रावधान है।
बिना किसी शर्त के वापस होगी राशि
हर्जाने की राशि बैंक को बिना किसी शर्त के पीड़ित ग्राहक के खाते में डालनी होगी। फिर भले ग्राहक ने क्लेम किया हो या न किया हो। हालांकि ग्राहक को यह राशि तभी मिलेगी जब उसने फैल हुए ट्रांजेक्शन की शिकायत 30 दिन के अंदर की हो। इसके बाद भी अगर शिकायत की सुनवाई नहीं होती है तो ग्राहक बैंकिंग लोकपाल को अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।