बिलासपुर। कोटा जनपद पंचायत में जनपद निधि में बंदरबांट की खबर आ रही है। यहां जनपद अध्यक्ष को विकास कार्यों के लिए महज 5 लाख रुपए दिए गए हैं, जबकि एक सदस्य को सात लाख रुपए दे दिए गए। आदिवासी महिला सदस्यों को विकास कार्यों के एक रुपए नहीं दिए गए हैं।
राज्य शासन ने कोटा जनपद पंचायत को ग्राम पंचायतों के मूलभूत और मौलिक कार्यों के लिए 50 लाख रुपए दिए थे। यहां 25 जनपद सदस्य हैं, जिसमें 15 महिला सदस्य शामिल हैं। जनपद निधि को सदस्यों के बीच बंटवारा करने के लिए 23 फरवरी 2019 को सामान्य सभा रखी गई। आरोप है कि आदिवासी सदस्यों को अंधेरे में रखकर सूची को अनुमोदित करा लिया गया। इसका खुलासा 26 जून की बैठक में हुआ। इस दौरान आदिवासी सदस्यों ने आपस में जनपद निधि को बांटने का विरोध किया तो जनपद सीईओ मोनिका वर्मा ने हस्तक्षेप कर आपस में चर्चा करने को कहा। इसके बाद 19 जुलाई को सामान्य सभा हुई, जिसमें 5 सदस्य अनुपस्थित थे। आरोप है कि बैठक में जनपद सदस्य अरविंद जायसवाल पहले से टायपिंग कराकर सूची रखा हुआ था, जिसमें 10 सदस्यों के हस्ताक्षर थे। बैठक में जायसवाल ने उस सूची को लहराते हुए मान्य करने के लिए सदस्यों पर दबाव बनाया। आदिवासी सदस्यों ने इस पर आपत्ति भी की, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई।
कलेक्टर से सूची निरस्त करने की मांग
कोटा क्षेत्र की चार आदिवासी महिला जनपद सदस्य सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंची थीं। उन्होंने जनदर्शन में कलेक्टर के नाम एक पत्र सौंपा है, जिसमें जनपद निधि में हुई बंदरबांट को बताया गया है। उन्होंने उस सूची को निरस्त करने की मांग कलेक्टर से की है।
जानिए किसे कितनी राशि मिली
जनपद अध्यक्ष लखन पैकरा को 5 लाख, उपाध्यक्ष सविता मनोज गुप्ता को 1 लाख, जनपद सदस्य अरविंद जायसवाल को 7 लाख, नेहा सचिव साहू, धर्मेंद्र देवांगन, रियाज जुंजानी, विनोद बंजारे, रनिता भार्गव, त्रिवेणी उद्देश और जयराज दीक्षित को 4-4 लाख, दीपा साहू, शशि मनक निर्मलकर, सीमा रामेश्वर दास, यशोदा ओट्टी, भगवती खुसरो, फूलमती और आशा भार्गव को 1.50-1.50 लाख रुपए दिए गए हैं।