Monday, December 23, 2024
Homeछत्तीसगढ़बिलासपुर: सीएमएचओ कार्यालय में एक और बड़ा घोटाला...एजी ने अपनी रिपोर्ट में...

बिलासपुर: सीएमएचओ कार्यालय में एक और बड़ा घोटाला…एजी ने अपनी रिपोर्ट में किया खुलासा… अपने प्रथम कार्यकाल में डॉ. मधुलिका सिंह ने की 4 करोड़ 90 लाख की गड़बड़ी… जानिए किन-किन योजनाओं पर लगाया पलीता…

अखलाख खान/बिलासपुर/ सीएमएचओ कार्यालय का एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। सीएमएचओ रहते डॉ. मधुलिका सिंह ने 4 करोड़ 90 लाख रुपए का घोटाला किया है। इसका खुलासा महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में किया है। ताज्जुब की बात यह है कि 2 करोड़ 50 लाख 35 हजार 371 रुपए कहां खर्च किए गए, इसका कोई हिसाब ही नहीं है।

कार्यालय महालेखाकार (लेखा परीक्षा) छत्तीसगढ़ रायपुर की एक टीम ने सीएमएचओ कार्यालय बिलासपुर द्वारा 1 सितंबर 2003 से 31 दिसंबर 2004 तक शासन से मिले करोड़ों रुपए के खर्च की लेखा परीक्षा की है। उस समय बिलासपुर में डॉ. मधुलिका सिंह सीएमएचओ थीं। वर्तमान में वे संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं बिलासपुर और सिविल सर्जन हैं। टीम ने लेखा परीक्षा का काम 7 जनवरी 2005 से 20 जनवरी 2005 के बीच पूरा किया है। महालेखाकार द्वारा राज्य शासन को भेजी गई रिपोर्ट ताजाखबर36गढ.कॉम के पास उपलब्ध है। इसमें बताया गया है कि कई योजनाओं में वित्तीय अनियमितता करते हुए डॉ. सिंह ने राज्य शासन और केंद्र सरकार को 4 करोड़ 90 लाख 35 हजार 371 रुपए का चूना लगाया है। आइए नजर डालते हैं गड़बड़ियों पर…

बिलासपुर: सीएमचओ कार्यालय में दवा और उपकरण खरीदी में बड़ा घोटाला… स्वास्थ्य संचालक भुवनेश यादव ने दिये जांच के आदेश…

इंदिरा स्वास्थ्य मितानिन कार्यक्रम में 45.20 लाख की गड़बड़ी

महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इंदिरा स्वास्थ्य मितानिन कार्यक्रम के क्रियान्वयन में 45.20 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता पाई गई है। सीए ने 2002-03 और 2003-04 का जो लेखा प्रमाणित किया है, उसे ब्लॉक वाइज बनाया गया और वह भी बजट के हिसाब से राशि खर्च दर्शाकर। कार्यक्रम के सारे भुगतान नगद किए गए हैं। सीएम द्वारा प्रमाणित व्यय के अधिकांश व्हाउचर बीएमओ की ओर से भुगतान के लिए पारित नहीं किए गए थे। फिर भी उसे व्यय में शामिल कर लिया गया।

अंधत्व निवारण कार्यक्रम में 41.95 लाख का घोटाला

महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर जिले में नेत्र ऑपरेशन प्रगति प्रतिवेदन 2002-03 और 2003-04 में प्रगति शून्य दर्शाया गया है। इससे स्पष्ट है कि इकाई का अमला शासकीय किए बिना ही वेतन लेता रहा। 23 अगस्त 2003 से 16 जून 2004 तक के सीएमएचओ कार्यकाल में डॉ. सिंह ने इस मद से 41.95 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि नेत्र इकाई के प्रभारी रहे डॉ. सुजय मुखर्जी ने इकाई का प्रगति प्रतिवेदन, उपस्थिति पंजी और अन्य शासकीय व्यय संबंधी अभिलेख देने से इनकार कर दिया। सीएमएचओ कार्यालय की ओर से जिला अंधत्व निवारण समिति को 27.50 लाख रुपए भुगतान किया गया था, लेकिन समिति ने अभिलेख पेश करने से इनकार कर दिया। मोतियाबिंद ऑपरेशन कम किया और भारत सरकार से 26.50 लाख रुपए अधिक ले लिए गए।

नसबंदी ऑपरेशन में 14.96 लाख की अनियमितता

सीएमएचओ कार्यालय की ओर नसबंदी ऑपरेशन के एवज में 14.96 लाख रुपए का अधिक भुगतान किया गया है। बताया गया है कि महिला और पुरुष नसबंदी ऑपरेशन में तय दर से 8.47 लाख रुपए अधिक खर्च किए गए। इसी तरह से बेंडेज व दवाइयों पर निर्धारित दर से अधिक दर पर खरीदी कर 6.48 लाख रुपए की अनियमितता की गई है। महालेखाकार ने अपनी टीप में लिखा है कि कार्यालय प्रमुख होने के नाते सीएमएचओ रहीं डॉ. सिंह परिवार कल्याण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में असफल रही हैं।

https://twitter.com/36Taza/status/1156921462688587778?s=19

स्वीकृत पद से अधिक स्टॉफ रखकर किया 13.62 लाख का भुगतान

एजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वित्त एवं कोष नियम के विपरीत जाकर सीएमएचओ ने स्वीकृत पद से अधिक स्टॉफ रखे और इनके लिए वेतन व भत्तों का आहरण कर राज्य शासन को 13.52 लाख रुपए की क्षति पहुंचाई है। सीएमएचओ ने 4.81 लाख रुपए का सीधा गबन किया है। इसकी सूचना विभाग के उच्च अधिकारियों और महालेखाकार को नहीं दी है। उन्होंने अल्प अवधि के दौरान कालातित होने जा रही दवाइयों की खरीदी 10.73 लाख रुपए में की है।

दो करोड़ 50 लाख का कोई हिसाब नहीं

महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आरसीएच कार्यक्रम के तहत सीएमएचओ कार्यालय को दो करोड़ 50 लाख 35 हजार 371 रुपए मिले थे। यह राशि व्यय बताई गई, लेकिन इसका अभिलेख और व्यय के व्हाउचर गायब हैं। महालेखाकार के अनुसार आरसीएच कार्यक्रम सीएमएचओ के माध्यम से संचालित था। इसलिए पूरी जानकारी उपलब्ध कराने की जवाबदारी सीएमएचओ की है। एजी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि लेखा परीक्षा को व्यय के व्हाउचर उपलब्ध नहीं कराने से साफ है कि कार्यक्रम पर किया गया खर्च संदेहजनक है। कार्यक्रम का प्रगति प्रतिवेदन न तो भारत सरकार को भेजा गया और न ही अभिलेख लेखा परीक्षा को कभी पेश किए गए हैं।

शासन को भेजी रिपोर्ट, पर नहीं हुई कार्रवाई

सीएमएचओ रहते डॉ. मधुलिका सिंह द्वारा किए गए घोटाले की पुष्टि होने के बाद महालेखाकार ने पूरी रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी थी, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उल्टे सीएमएचओ पद से पदोन्नति पाते हुए डॉ. सिंह संयुक्त संचालक बन गई हैं।

(विभिन्न योजनाओं में किस तरह से की गई गड़बड़ी… यह जानने के लिए पढ़ते रहिए… www.tazakhabar36garh.com)

spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!