- महासमुंद जिले के कुकराडीह गांव में फसलों की रक्षा के लिए ग्रामीणों ने किया यज्ञ
- मान्यता- हाथी की मूर्ति खेतों में लगाने से, दूर रहेंगे हाथी, फसलें रहेंगी सुरक्षित
महासमुंद. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के गांव कुकराडीह में ग्रामीणों ने फसलों को बचाने पूजा अर्चना की। यहां पूजा हाथी की हुई। खेत में हाथी की प्रतिमा स्थापित हुई यज्ञ भी हुआ। ग्रामीणों में मान्यता है कि ऐसा करने से जंगलों से आने वाले हाथी उनकी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि यह ग्रामीणों की आस्था का विषय है, लेकिन जागरुकता के लिए ग्रामीणों की पहल सराहनीय है।
1982 में झारखंड से आए थे 2 हाथी आज हजारों किसान प्रभावित
- ग्रामीण जीवन लाल साहू ने बताया कि एक महीने पहले ही गांव में बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में यह चर्चा हुई कि हाथी कुकराडीह के जिस क्षेत्र से निकलकर ग्रामीण क्षेत्र और खेत में प्रवेश करते हैं, क्यों न वहां हाथी की मूर्ति स्थापित कर विधि-विधान से पूजा की जाए। ताकि हाथी इस क्षेत्र में न आए और जंगल में ही रहे। निर्णय के पश्चात आपसी सहयोग से हाथी की मूर्ति बनवाई गई और आज उसकी विधि-विधान से स्थापना की गई। हाथी भगाओ-फसल बचाओ समिति के राधेलाल सिन्हा ने भी ग्रामीणों के इस प्रयास को बेहतर बताया है।
- यहां ग्रामीणों ने 5 फीट का चबूतरा बनाया है, उसी पर 5 फीट ऊंचाई की मूर्ति तैयार की गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक मैसेज है कि हाथी की पूजा करके यह बताना चाहते हैं कि हम हाथी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। प्रकृति का सिद्धांत भी यही है कि आप उसको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे तो वो आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा। लोग शांतिपूर्ण तरीके से हाथियों के साथ रहना सीखें। क्योंकि छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 1982 में झारखंड के बेतला से 2 या 3 हाथी आए थे, लेकिन आज उनकी जनसंख्या 280 के करीब पहुंच गई है।