हिमाचल प्रदेश में स्थित नारकंडा भारत का सबसे पुराना स्कीइंग डेस्टिनेशन है, जो समुद्र तल से लगभग नौ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की गगनचुंबी पर्वत चोटियों की सुंदरता एवं शीतल, शांत वातावरण खूब आकर्षित करता है। अक्सर जो लोग शिमला जाते हैं, वे नारकंडा अवश्य जाते हैं।
दिल्ली से कालका तक ट्रेन ली और वहां से कैब। हमें कालका से नारकंडा पहुंचने मेंकरीब छह घंटे लग गए। छह घंटे लगेंगे, सुनकर थकान-सी महसूस हुई, पर रास्ते के ढाबों पर खाते और चाय पीते, घुमावदार रास्तों के नजारों में बंधे, कब लंबा सफर तय हो गया, पता ही नहीं चला।
ठंडी हवा यहां के शांत वातावरण में रस घोलती रहती है। यहां पर लोकनिर्माण विभाग तथा राज्य पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस व होटल हैं, लेकिन हमारी बुकिंग पहले से ही एक रिसॉर्ट में हो चुकी थी। रिसॉर्ट में ज्यादा मेहमान नहीं थे। वैसे भी यह एकदम शांत जगह पर बना हुआ है। पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई थी। सूरज ढल गया था, इसलिए उस दिन तो कहीं बाहर घूमने जाने का सवाल ही नहीं था।
इतने सुंदरपौधे थे। नर और मादा किवी को संयोजित कर पेड; लगाया जाता है, यह भी पता चला। सुबह जब नींद खुली तो रिसॉर्ट की खिड;की से जो नजारा दिखा, उससे मैं मंत्रमुग्ध रह गई। सूरज की किरण या कहें रोशनी के छोटे-छोटे कतरे बादलों की कोख से धीरे-धीरे झांक रहे थे। घर भी दूर-दूर बने थे।
फटाफट तैयार होकर निकल गए। पहले तो नेचर वॉक ही करते रहे। यहां सेबों के खूब बगीचे हैं। यह देख हैरानी हुई कि सेब सड;कों पर यूं ही बिखरे हुए थे। जो सेब खराब हो जाते थे, उन्हें फेंक दिया जाता था, पर इतनी मात्रा में…।
हाटू पीकः रिसॉर्ट के केयरटेकर ने कहा कि हाटू पीक देखने अवश्य जाएं। यह नारकंडा में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यहां हाटू माता का मंदिर है। कोई छह किमी. की दूरी पर है। यह नारकंडा नेशनल हाइवे 22 पर स्थित है। नारकंडा को पार करके एक रास्ता कटता है, जो हाटू पीक को जाता है। इस पर एक छोटी कार या एसयूवी के सामने अगर बाइक भी आ जाए तो बचाना मुश्किल है।
यहां पर आधे रास्ते में एक छोटी-सी झील बना दी गई है। इस छोटी झील के पास ही चाय के एक-दो खोखे हैं। सुबह की हवा में गुनगुनाहट थी और ठंड का एहसास हो रहा था। ठंड ने कोहरे की चादर बिछा रखी थी। यहां से हिमालय की चोटियां नजर आ रही थीं।
हाटू माता के मंदिर पहुंचे तो एक अजीब-सी अनुभूति हुई। यह स्थान लंका से काफी दूर था, लेकिन कहा जाता है कि मंदोदरी हाटू माता की थीं, जिसकी वजह से ही उन्होंने यह मंदिर बनवाया। वह यहां प्रतिदिन पूजा करने के लिए आती थीं। यह मंदिर पूरी तरह बना है।
कैसे पहुंचें: शिमला से नारकंडा के लिए बसें मिल जाती हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन शिमला है। नेशनल हाईवे 5 पर शिमला से नारकंडा तक का सफर लगभग 2 घंटे का है। शिमला से 65 किमी. की दूरी तय करके लोग नारकंडा पहुंच सकते हैं।
कोटगढ; घाटी से आगंतुक कुल्लू घाटी और बर्फ से ढके हिमालय के शानदार दृश्य का आनंद ले सकते हैं। ठानेधार में स्थित प्रसिद्घ स्टोक्स फार्म एक अमेरिकी सैमुअल स्टोक्स द्वारा शुरू किया गया था, जो भारतीय दर्शन से प्रभावित होकर 1904 में भारत आये थे।
गर्मियों में जब वह शिमला गए, तो वहां के प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत हो गए और फिर कोटगढ; में ही बस गए। उन्होंने सेब का बगीचा लगाया जो रेड डिलीशियस, गोल्डन डिलीशियस और रॉयल डिलीशियस सेबों के लिए मशहूर हो गया।