छत्तीसगढ़ / लटुरिया महाराज की चौथी पीढ़ी के जगदीश 2017 तक बने हनुमान
100 साल पहले मशाल की रोशनी में हुई थी भाटापारा की रामलीला, 35 साल से पर्दा उठा रहे नासिर
रायपुर . 1920 में मशाल की रोशनी में शुरू हुई भाटापारा की रामलीला लगभग 100 साल की हो गई। ये रामलीला गैस बत्ती के बाद बिजली की रोशनी में होने लगी है। इसके 70-80 कलाकारों का दल बिना पैसे लिए, केवल दो कप चाय पीकर काम करता है। इनमें बच्चे भी हैं जो परीक्षा के समय भी इसमें शामिल होते हैं। खास बात यह भी कि पिछले 35 बरस से परदा उठाने गिराने का काम हाजी मोहम्मद नासिर बांठिया कर रहे हैं।
शुरू में लीला तीन दिन की होती थी। 1932 से यह 9 दिन की हो रही है। 1954-55 में लीला शबाब पर आई जब कलाकारों की वेशभूषा व दूसरा सामान खरीदा गया। 1957 से लीला बिजली की रोशनी में होने लगी। तब बिजली बंद होने पर लीला रोकी नहीं जाती थी। बल्कि कलाकार अपनी आवाज बढ़ाकर डायलॉग बोलते थे।
एक चीज बरसों से नहीं बदली वह है लोगों का शाम होने से पहले ही जगह छेक लेना। लोग बोरे-दरी बिछाकर अपनी नाम की पर्ची लगाकर चले जाते हैं। पुराने गंज मैदान पर ही 100 सालों से लीला हो रही है। शताब्दी लीला को ऐतिहासिक बनाने के लिए साढ़े तीन महीने से पूरा शहर परिवार की तरह जुटा है। श्री आदर्श रामलीला मंडली भाटापारा के अध्यक्ष बलराम जोशी, सचिव ममता प्रसाद व मुरारी शर्मा व्यवस्था में लगे हैं। शर्मा मंडली से 70 साल से जुड़े हैं। तीनों पुरानी यादों को लेकर भावुक हो जाते हैं।
लटुरिया महराज ने की थी शुरुआत : 1920 में लटुरिया महराज (सुखदेव दास जी) ने कुछ शहरवासियों के साथ रामलीला की शुरूआत की। वे हनुमान का रोल करते थे। फिर उनके मंदिर के सेवादार भगवान दास वैष्णव, महराज के नाती धन्ना वैष्णव, फिर इसी पीढ़ी के जगदीश वैष्णव 2017 तक हनुमान का किरदार निभाते रहे। बजरंग लाल टोडर रावण का रोल करते थे। 1920 में कन्हैया लाल टोडर लीला के दौरान रामायण की चौपाइयां बोलते थे। रामजी बावला नथाराम नौटंकी से भी जुड़े थे। उनके बेटे राधेश्याम बावला कभी कृष्ण तो कभी राम या विष्णु के किरदार में रहते थे। मुकुट पहन लेने पर वे सात फीट के साक्षात विष्णु भगवान नजर आते थे। रामजी के भाई रामेश्वर बावला लकटकिया का रोल करते, राधेश्याम के पुत्र कैलाश भी नाई-नवाइन या महिलाओं का किरदार करते रहे।
इस साल विजय महराज बनेंगे हनुमान : इस बार 29 सितंबर को गणेश पूजन तथा मुकुट पूजन के साथ इसकी शुरुआत होगी। अब प्रकाश इंडस्ट्रीज में अफसर संजय जोशी फिलहाल राम की, देव नारायण शर्मा लक्षमण, विजय महराज हनुमान का रोल कर रहे हैं। शताब्दी साल में पहली लव-कुश प्रसंग होगा। बच्ची काव्या बनेगी लव और आराध्या मिश्रा बनेगी कुश। दशहरा पर रावण वध के बाद भगवान राम के राज्य अभिषेक के बाद इसका मंचन होगा। लव-कुश दो बच्चियां बनेंगी। सबसे दिलचस्प यह कि एक ही परिवार मंच पर तीन भूमिका में होगा। पार्वती-शंकर के रोल में तृप्ति मिश्रा व मुरारी मिश्रा होंगे तो त्रिजटा का अभिनय करेगी उनकी बेटी चार्वी।
56 कलाकार नहीं रहे : सौ सालों में रामलीला में विभिन्न पाठ करने वाले 56 कलाकार अब इस दुनिया में नहीं रहे। इनमें बड़ी पोस्ट पर काम करने वाले अधिकारी भी शामिल हैं। श्री आदर्श रामलीला मंडली भाटापारा उनके परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करेगी। मुरारी शर्मा के अनुसार यह अद्भुत क्षण होगा। अब भी पूरा खर्च नागरिक ही उठाते हैं। 1960 से नगर पालिका परिषद 500 रुपए का सहयोग करने लगी। घनश्याम पुरोहित बताते हैं कि विधायक शर्मा ने सरकार से आर्थिक मदद भी दिलाई।