विधि विभाग के अभिमत के आधार पर डीजीपी का फैसला
पिछले साल 61 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे लिखित परीक्षा में
रायपुर . पुलिस मुख्यालय ने पुलिस आरक्षकों के 2259 पदों पर भर्ती निरस्त कर दी है। डीजीपी डीएम अवस्थी ने विधि विभाग के अभिमत को आधार बनाकर भर्ती रद्द करने के आदेश दिए हैं। राज्य में संभवत: पुलिस भर्ती का यह पहला मामला है, जब प्रक्रिया पूरी होने के बाद भर्ती रद्द की गई है। इस फैसले से 61 हजार अभ्यर्थियों को झटका लगा है, जो लिखित परीक्षा में शामिल हुए थे और रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे। बता दें कि यह मामला हाईकोर्ट में भी गया था।
हाईकोर्ट ने दो महीने में रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी रिजल्ट नहीं आया तो जून महीने में अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाई थी। तब से लेकर अब तक अभ्यर्थियों को रिजल्ट का इंतजार था। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान इसे मुद्दा बनाया था। साथ ही, सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन किया था।
कड़ी धूप में लगाई थी 1500 मीटर दौड़ : पुलिस आरक्षक भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा मई में हुई थी, जिसमें कड़ी धूप में अभ्यर्थियों ने 1500 मीटर दौड़ लगाई थी। इसके बाद जब रिजल्ट नहीं आया तो अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे थे और कहा था कि अब उन्हें नक्सली बनने की राह दिख रही है। इस पर हाईकोर्ट में दो महीने में रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए थे। इस पर भी जब रिजल्ट जारी नहीं हुआ तो सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट पहुंचकर अवमानना याचिका लगाई थी।
इस आधार पर निरस्त की भर्ती प्रक्रिया : डीजीपी अवस्थी ने भर्ती रद्द करने के लिए जो आदेश जारी किया है, उसके मुताबिक 2259 पदों की भर्ती छत्तीसगढ़ पुलिस कार्यपालिक बल, आरक्षक (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियम 2007 में संशोधन के संबंध में 21 फरवरी 2018 को जारी अधिसूचना के तहत की गई थी। इस संबंध में गृह विभाग ने विधि विभाग से अभिमत मांगा था।
इस साल 29 जुलाई को विधि विभाग ने अभिमत दिया है कि आरक्षक संवर्ग की नियुक्ति की कार्यवाही अन अधिसूचित संशोधित नियम के आधार पर किया जाना वैध नहीं होगा। इससे कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। इस आधार पर भर्ती प्रक्रिया निरस्त की गई है। बता दें कि दो साल पहले दिसंबर 2017 में आरक्षक संवर्ग के 2259 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें मई-जून 2018 में शारीरिक दक्षता परीक्षा हुई थी। इसमें एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इनमें से 61 हजार लिखित परीक्षा में बैठे थे।
बीजेपी ने बताया-बेरोजगारों से नाइंसाफी : नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इसे बेरोजगारों के साथ नाइंसाफी कहा है। उन्होने कहा कि सरकार में आने से पहले युवाओं को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें रोजगार देने, बेरोजगारी भत्ता देने व नियमितीकरण का सपना दिखाने वाली कांग्रेस सरकार में आने के बाद अपने असली चेहरे पर लौट आई है।
मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा था
- 29 दिसंबर 2017 को 2259 पदों के लिए जारी हुआ था विज्ञापन
- मई-जून 2018 में शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन
- सितंबर 2018 में लिखित परीक्षा में शामिल हुए 61 हजार अभ्यर्थी
- 18 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने दो माह में रिजल्ट जारी करने कहा
- 10 जून 2019 को अवमानना याचिका लेकर हाईकोर्ट पहुंचे सैकड़ों अभ्यर्थी
- 28 सितंबर 2019 को डीजीपी ने रद्द कर दी आरक्षक भर्ती प्रक्रिया