कोण्डागांव। शिल्पनगरी के नाम से देश विदेश में पहचान बना चुके कोण्डागांव के प्रवेश में अब जिला प्रशासन शिल्पकारों के हाथों से बना भव्यकला-कृति स्थापित करवा चुका है। इसे रायपुर नाका के पास नेशनल हाईवे 30 पर स्थापित किया गया है। जीवंत कला का रूप देने वाले कलाकारों की माने तो लौह द्वार का निर्माण कार्य के लिए आठ माह के समय लगा और 50 कलाकारों ने अपना योगदान दिया है।
कोण्डागांव, अंतराष्ट्रीय कला बाजार में अपनी एक खास छाप छोड़ चुका है। कोण्डागांव को विश्व के कला बाजार में शिल्प नगरी के नाम से जाना जाता है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि, आज तक जिला में ऐसा कोई भी भव्य कलाकृति नहीं है, जिसे देखकर कोण्डागांव को शिल्प नगरी के रूप में पहचाना जा सके। इसी कमी को दूर करने के उद्देश्य से स्थानीय विधायक व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की पहल से, जिला के कलेक्टर नीलकंठ टीकाम के निर्देशन पर स्थानीय लोह शिल्प (आयरण क्राफ्ट) कलाकारों के माध्यम से भव्य शिल्पकारी का निर्माण कर भव्य द्वार स्थापित किया गया है। यहां के शिल्पकारों का एक दल कोण्डागांव में प्रवेश के साथ ही कलाधानी में प्रवेश का एहसास दिलाने के लिए लौहद्वार का निर्माण कर चुकी है।
बताया जा रहा है कि 50 कलाकारों को 8 माह का समय लगा है। लौह शिल्प की पहचान दिलाने वाले भव्य द्वार की स्थापना के बाद मां दंतेश्वरी व बुड़ादेव द्वार के नाम से संबोधित किया जा सकता है। मां दंतेश्वरी-बुड़ादेव द्वार निर्माण करने वाले कलाकार सोनाधर पोयाम विश्वकर्मा ने चर्चा के दौरान बताया कि, लोहशिल्प के साथ निर्मित होने वाले द्वार के निर्माण के लिए इसी वर्ष जनवरी में उन्होने कलेक्टर नीलकंठ टीकाम और विधायक मोहन मरकाम के समक्ष प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को विधायक और कलेक्टर ने हाथों-हाथ हामी देते हुए तत्काल स्वीकृति दे दिया। इसके चलते द्वार का निर्माण फरवरी माह से शुरू किया गया।
सोनाधर पोयाम विश्वकर्मा ने आगे बताया कि, इस द्वार के निर्माण के लिए कोण्डागांव समेत आस-पास के गांव कुसमा, जामकोटपार, किड़ईछेपड़ा, उमरगांव, जैतपुर व अन्य गांव के लगभग 40-50 कलाकार ने अपना सहयोग दिया है। इसके भव्य आकार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस भव्य द्वार को नेशनल हाईवे के मापदंड के अनुरूप बनाया गया है।
जब द्वार का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, तब अनुमान लगाया गया था कि इसकी दोनों ओर चैड़ाई 25-25 फिट रहेगी। लेकिन बाद में नेशनल हाईवे विभाग ने हाईवे के मापदंड के बारे में कलाकारों को बताया। इसके बाद से द्वार की एक ओर की चैड़ाई 45 फिट व उचाई 30 फिट कर दी गई। ऐसे में अब हाइवे के दोनों तरफ मिला कर लोह-शिल्प वाले इस भव्य द्वार की चौड़ाई 90 फिट की होगी।