बिलासपुर। मोपका में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर अवैध प्लाटिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। सब कुछ जानते हुए भी राजस्व महकमा इसलिए कार्रवाई नहीं कर रहा है, क्योंकि उनके हाथ रकम की रस्सी से बंधे हुए हैं। हद तो यह है कि भूमाफियाओं को निस्तारी तालाब की जमीन बेच दी गई है।
सरकारी रिकार्ड की मानें तो मोपका में खसरा नबंर 442 और 443 पर निस्तारी तालाब है। तालाब तक पहुंचने के लिए निस्तारी रास्ता भी दर्ज है। सरकारी रिकार्ड में तालाब का मेढ़ करीब 66 फीट है, लेकिन मौके पर तालाब का मेढ़ अब महज 5 से 6 फीट तक रह गया है। शेष जमीन पर अवैध प्लाटिंग कर दी गई है। तालाब तक पहुंचने वाला रास्ता भी गायब है। यह अवैध कारोबार पटवारी कार्यालय से महज 500 मीटर दूर हो रहा है, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी पटवारी अमित पांडेय आंखें मूंदे बैठे हैं। पूछताछ करने पर उन्होंने नक्शा में नाप करते हुए स्वीकार किया कि तालाब की चारों ओर मेढ़ की चौड़ाई एक जरीब यानी कि 66 फीट है। मौके पर अब सिर्फ 5 से 6 फीट चौड़ा मेढ़ बचा हुआ है। शेष जमीन पर प्लाट निकल गया है। तालाब पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई करने के सवाल पर पटवारी पांडेय कहते हैं कि शिकायत मिलेगी तो जांच कर प्रतिवेदन उच्च कार्यालय को भेज दिया जाएगा। इधर, अतिरिक्त तहसीलदार एनपी गबेल कहते हैं कि उन्होंने पटवारी से तालाब की जमीन की नाप कर प्रतिवेदन मंगाया है। अतिरिक्त तहसीलदार का वक्तव्य आने के बाद जब पटवारी पांडेय से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें तहसील कार्यालय से किसी भी तरह की जांच कर प्रतिवेदन देने का निर्देश नहीं मिला है। अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है।
(नोट:- अवैध प्लाटिंग में राजस्व अफसरों की सांठगांठ… एक राजस्व अफसर बन गया है बिल्डर… नहर की जमीन गायब… ऐसे कई मामलों का जल्द होगा खुलासा… पढ़ते रहिए www.tazakhabar36garh.com)