बिलासपुर। 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस के लौटने के बाद बिलासपुर शहर में जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय संगठन चिंतित है। सत्ता के नशे में चूर कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी से लेकर आम कार्यकर्ता तक सीएम और विधायकों को अपशब्द कहने से नहीं हिचक रहे हैं। शहर में ऐसी चार घटनाएं हो चुकी हैं, जिसकी आड़ में कांग्रेस की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है। इन चारों मामलों की जांच के लिए प्रदेश कांग्रेस के प्रशासनिक महामंत्री गिरीश देवांगन ने टीम गठित कर ली है।
टीम में जिला बिलासपुर ग्रामीण प्रभारी पदाधिकारी मोतीलाल देवांगन और जिला शहर प्रभारी पदाधिकारी मंजू सिंह शामिल किए गए हैं। प्रशासनिक महामंत्री देवांगन ने दोनों प्रभारी पदाधिकारियों से सात दिनों के अंदर चारों मामलों की जांच कर रिपोर्ट मंगाई है। बताया जा रहा है कि यह जांच राष्ट्रीय संगठन के निर्देश पर बिठाई गई है।
जानिए क्या-क्या हुआ अब तक
केस 1
अटल बिहारी बाजपेयी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शहर विधायक शैलेश पांडेय को अतिथि नहीं बनाया गया। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को भी अतिथियों की श्रेणी में तीसरे नंबर पर रखा गया। इस मामले को लेकर छात्र नेताओं ने यूनिवर्सिटी का घेराव कर दिया। उनका कहना था कि सीएम का नाम ऊपर होना चाहिए और शहर विधायक पांडेय को अतिथि बनाया जाना चाहिए।
दो दिन की रस्साकशी और खींचतान के बाद सीएम का नाम अतिथियों की श्रेणी में दूसरे नंबर लाया गया और शहर विधायक को भी अतिथि बनाया गया। हालांकि सीएम और शहर विधायक दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए। शहर विधायक पांडेय का कहना था कि पहले तो अपमान कर चुके थे, फिर बाद में सम्मान देने का क्या मतलब।
केस 2
नगर निगम की एमआईसी में पहले से ही प्रस्ताव पास है कि दशहरा उत्सव में शहर विधायक ही रावण के पुतले का दहन करेंगे। 20 साल से यही होते आया। मंत्री और नगर विधायक रहे अमर अग्रवाल रावण का पुतला जलाते आए हैं। इस बार शहर की सत्ता पलट गई। अमर अग्रवाल को हराकर कांग्रेस के प्रत्याशी शैलेश पांडेय चुनाव जीत गए।
परंपरा के तहत नगर निगम ने पुलिस ग्राउंड में दशहरा उत्सव का आयोजन किया, लेकिन शहर विधायक पांडेय को मुख्य अतिथि नहीं बनाया गया। इस मामले को लेकर खूब राजनीति हुई। हो-हंगामा हुआ। अंतत: शहर विधायक पांडेय को मुख्य अतिथि बनाया गया।
केस 3
सीएमडी कॉलेज के पूर्व छात्रनेता आकाश यादव ने 19 अक्टूबर को रिफ्रेशर पार्टी का आयोजन रखा, जिसमें शहर विधायक शैलेश पांडेय, तखतपुर विधायक रश्मि सिंह, जिला ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी, पंकज सिंह आदि को अतिथि बनाया गया। अतिथियों की श्रेणी में प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव को दूर रखा गया। यही बात अटल समर्थकों को नागवार गुजरी और कार्यक्रम नहीं होने देने सारे हथकंडे अपनाए गए। रिफ्रेशर पार्टी के लिए सीएमडी कॉलेज में जगह नहीं दी गई।
बुक होने के बाद भी त्रिवेणी भवन को कैंसिल करा दिया गया। लखीराम ऑडिटोरियम को बुक किया गया। कांग्रेस के गुट विशेष से दबाव आने पर आयुक्त प्रभाकर पांडेय ने पहले राशि जमा करने का फरमान आयोजक को सुना दिया। जैसे-तैसे कर आयोजक आकाश यादव ने तय शुल्क जमा करा दिया तो फिर नया हथकंडा अपनाया गया।
19 अक्टूबर की सुबह करीब 4 बजे ऑडिटोरियम की बिजली कटवा दी गई और 9 माह पुराने मारपीट के मामले में आकाश यादव को गिरफ्तार कराकर जेल भेज दिया गया। शहर विधायक पांडेय ने दोनों मामलों को गंभीरता से लिया। उन्होंने पहले तो बिजली बहाल कराई। इसके बाद शाम को आयोजक आकाश की अनुपस्थिति में रिफ्रेशर पार्टी हुई, जिसमें करीब 9 सौ स्टूडेंट शामिल हुए। हालांकि कार्यक्रम में शहर विधायक पांडेय को छोड़कर कोई अतिथि शामिल नहीं हुए।
दूसरे दिन अखबारों में कांग्रेस की गुटीय राजनीति को लेकर बड़ी-बड़ी खबरें छपीं। इस बीच एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें अटल समर्थक अभय बरुवा और रत्तू मिश्रा बातचीत कर रहे हैं। ऑडियो में अभय बरुवा कह रहे हैं कि चालान में आकाश यादव का नाम नहीं था, लेकिन उसने अटल भइया को दरकिनार कर गलत किया। इसकी तो सजा मिलनी ही थी। इस मामले की भी शिकायत राष्ट्रीय व प्रदेश संगठन से हुई थी।
केस 4
छठपूजा के दौरान अरपा महाआरती के कार्यक्रम में 31 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अभय नारायण राय के निमंत्रण पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री बघेल समय की कमी का हवाला देते हुए छठ घाट के कार्यक्रम में आरती करने और विचार रखने के बाद रवाना हो गए। इसस पहले उन्होंने बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय व तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ठाकुर को कार्यक्रम स्थल पर रुकने के लिए कहा।
बघेल के जाते ही प्रदेश सचिव महेश दुबे बिफर गए। शिकायत के मुताबिक उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए, जल्दी चले जाने को लेकर अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम का बेड़ा गर्क कराना हो तो सीएम को बुला लो। उस समय प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अभय नारायण, दर्जनों भाजपाई और आयोजन समिति के 100 से अधिक लोग वहां पर मौजूद थे। बताया जाता है कि कुछ लोगों ने इसका वीडियो भी बना लिया।
प्रदेश सचिव दुबे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव की टीम से हैं। अखबारों में खबरें प्रकाशित होने के बाद प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने अपने समर्थक महेश दुबे के बचाव में मामले को मोल्ड किया और बयान दिया कि दुबे ने सीएम को नहीं, बल्कि विधायकों को अपशब्द कहा था। इससे घटना की पुष्टि हो गई। विवाद और बढ़ गया।
बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने तत्काल पलटवार करते हुए बयान दिया कि माना कि मुख्यमंत्री के खिलाफ दुबे ने नहीं बोला हो, पर अपनी ही पार्टी के विधायकों के खिलाफ भी सार्वजनिक रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल क्यों किया गया? यह अनुशासनहीनता है और संगठन को देखना चाहिए। विधायक पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि वे मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार कार्यक्रम स्थल पर देर तक रुके थे। उन्हें कार तक छोड़ने के बाद वे महाआरती के पूरे समारोह में रुके। इसलिये यह भी आरोप गलत है कि वे कार्यक्रम स्थल से चले गये थे। इस मामले की शिकायत भी राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन से हुई थी।