बिलासपुर। लगता है घुटकू स्थित फिल कोल बेनिफिकेशन प्रबंधन को हाईकोर्ट के आदेश की भी परवाह नहीं है, तभी तो स्टे होने के बाद भी विवादित सड़क पर डामरीकरण किया जा रहा है। दूसरी ओर, सब कुछ जानते हुए जल संसाधन विभाग और प्रशासन मौन है। इससे किसान आक्रोशित हैं।
यदुनंदन नगर निवासी दिनेश सिंह की भी घुटकू में जमीन है। उनका आरोप है कि घुटकू स्थित फिल कोल बेनिफिकेशन (कोलवाशरी) को शासन-प्रशासन किस तरह से उपकृत कर रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। पहले तो जल संसाधन विभाग ने कोलवाशरी को बचाने के लिए नहर की दिशा ही मोड़ दी, जबकि नहर कोलवाशरी के बीच से होकर जा रही थी। इसके बाद नहर के किनारे आवागमन के लिए इतनी बड़ी कच्ची सड़क दी, जिसमें से दो हाइवा एक साथ चल सकते हैं। दिनेश सिंह का कहना है कि खेतों के बीच होकर निकली सड़क का बेजा इस्तेमाल करने के लिए कोलवाशरी प्रबंधन ने तत्कालीन कलेक्टर से सांठगांठ की और अपने सीएसआर मद से खुद के लिए सड़क का निर्माण कर दिया। यह सड़क घुटकू फाटक से कोलवाशरी तक ही गई है। रोजाना दर्जनों वाहनों से कोयला परिवहन किया जाता रहा। इससे किसानों की फसल पर डस्ट जमने लगी। उपजाऊ भूमि बंजर होने लगी। अपनी जमीन बचाने के लिए किसानों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। किसानों ने आपस में चंदा कर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने 30 अप्रैल 2019 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क निर्माण पर रोक लगा दी है। दिनेश सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक सड़क को यथास्थिति में रखने कहा है। वर्तमान में सड़क की हालत दयनीय हो गई है। इसके चलते हाइवा आने-जाने में दिक्कत हो रही है। हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए कोलवाशरी के कर्ताधर्ता प्रवीण झा ने सड़क का डामरीकरण शुरू करा दिया है। इससे हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है। इस मामले को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाएंगे।