देश में कोरोना वायरस महामारी की वजह से सुपर रिच करदाताओं और विदेशी कंपनियों से ज्यादा टैक्स की वसूली की सिफारिश के मामले में सीबीडीटी ने टीम वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों को नोटिस दिया है। ख़बरों के अनुसार, इन अधिकारियों ने अनधिकृत रूप से टैक्स बढ़ाने की रिपोर्ट बनाई और युवा साथियों को गुमराह किया। इससे करदाताओं के बीच डर की स्थिति बन गई।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया था कि टैक्स अधिकारियों ने कोरोना से लड़ाई में शॉर्ट और मीडियम टर्म में नकदी का इंतजाम करने के लिए यह सुझाव दिए हैं। राजस्व अधिकारियों ने फिस्कल ऑप्शंस एंड रेस्पॉन्स टू द कोविड-19 एपेडमिक नाम से एक पेपर तैयार किया है। इंडियन रेवेन्यू सर्विस एसोसिएशन ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के चेयरमैन पीसी मोदी को यह पेपर सौंप दिया है।
जिसके बाद सोमवार को सीबीडीटी ने कहा था- सोशल मीडिया पर कुछ रिपोर्ट सर्कुलेट हो रही हैं। लेकिन हमने आईआरएस एसोसिएशन से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मांगी। अधिकारियों ने अपने विचार सार्वजनिक करने से पहले कोई अनुमति नहीं ली। यह नियमों का उल्लंघन है। इसकी जांच हो रही है।
ख़बरों के अनुसार, 50 राजस्व अधिकारियों की ओर से तैयार इस पेपर में शॉर्ट टर्म के लिए सुपर रिच स्लैब को मौजूदा 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का सुझाव दिया गया है। यानी सालाना 1 करोड़ या इससे ज्यादा की कमाई वालों पर 30 फीसदी की बजाए 40 फीसदी टैक्स लगाया जाए।
वही राजस्व अधिकारियों के ग्रुप ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कोविड-19 सेस लगाने की सिफारिश की है। पेपर के अनुसार अधिकारियों के ग्रुप ने 4 फीसदी की दर से वन टाइम ‘कोविड रिलीफ सेस’ लगाने की सिफारिश की है। पेपर में आरंभिक अनुमान जताया गया है कि इस सेस से सरकारी खजाने में करीब 15 से 18 हजार करोड़ रुपए जमा होंगे।