भारत और चीन के सैन्य कमांडर रविवार को जहां एक तरफ पांचवें दौर की अहम बैठक लद्दाख में चीन की ओर स्थित मॉल्डो में कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ ताजा सेटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने काशगर एयरबेस पर 6 शियान एच-6 बॉम्बर तैनात कर रखे हैं। भारत और चीन के बीच सबसे विवादित क्षेत्र पूर्वी लद्दाख की पैंगॉन्ग झील से काशगर एयरबेस की 690 किमी. दूरी है। एक ओर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ शांति और स्थिरता कायम करने के लिए बैठक कर रहा है तो दूसरी ओर पीपल्स लिबरेशन आर्मी सीमा के पास ही अपनी ताकत बढ़ाती जा रही है।
इंटेलीजेंस विश्लेषक डेट्रेसफा (Detresfa) ने भारत और चीन के बीच लद्दाख गतिरोध की वास्तविकता जानने के लिए उपग्रह से तस्वीरें लेकर एक ओपन-सोर्स रिपोर्ट तैयार की है। इन सेटेलाइट तस्वीरों में दिखाई दिया है कि चीन के काशगर एयरबेस पर 6 शियान एच-6 बॉम्बर दो 2 पेलोड के साथ खड़े हैं, जो परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखते हैं। इनमें मिसाइल होने की भी आशंका जताई गई है। लद्दाख से इस बेस की दूरी करीब 600 किमी. है जबकि एच-6 की रेंज 6 हजार किमी. है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीन ने अपने इन सैन्य हथियारों और विमानों को भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद की वजह से तैनात किया है। एयरबेस पर 12 शियान जेएच-7 फाइटर बॉम्बर खड़े दिखाई दिए हैं, जिनमें से दो पर पेलोड हैं। इसके अलावा 3530 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाले 4 शेनयान्ग जे11/16 फाइटर प्लेन भी एयरबेस पर तैनात हैं। चीन ने हाल ही में एच-6जे और एच-6जी विमानों के साथ साउथ चाइना सी में भी ड्रिल की है। चीन के इस युद्धाभ्यास में शामिल एच-6जे सात वाईजे-12 सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल ले जा सकते हैं।
लद्दाख में किसी भी तरह की कार्यवाही करने के लिए चीनी वायुसेना के पास तीन एयरबेस काशगर, होटान और नग्री गुरगुंसा हैं, जहां से उसके फाइटर एयरक्राफ्ट कार्रवाई कर सकते हैं। फिर भी इन एयरबेस से भारत के खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमताएं सीमित हैं। लेह से काशगर की दूरी 625 किमी., होटान की दूरी 390 किमी. और गुरगुंसा की दूरी 330 किमी. है। ये सभी तिब्बत में 11000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित हैं। सेटेलाइट की तस्वीरों में चीनी वायुसेना के एयरबेस काशगर पर भले ही 4 शेनयान्ग खड़े दिखाई दिए हों लेकिन इस समय चीन के पास 250 शेनयान्ग फाइटर प्लेन हैं जो 2500 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। यह प्लेन रूस की एसयू 27 एसके का लाइसेंस वर्जन है, जो हवाई क्षेत्र के साथ-साथ जमीन पर भी हमला करने में सक्षम है। इस फाइटर में 30 मिमी. की एक कैनन भी लगी हुई है। जबकि इसके 10 हार्ड प्वॉइंट पर कई तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।
इससे पहले इसी इंटेलीजेंस विश्लेषक की ओपन-सोर्स रिपोर्ट और सेटेलाइट की तस्वीरों से खुलासा हुआ था कि चीन ने भारत से लगी सीमा के नजदीक कम से कम 8 एयरबेस या हेलीपैड को एक्टिवेट किया है, जहां से वह अपनी युद्धक गतिविधियों को जारी रख सकता है। हाल में ही शिनजियांग प्रांत में स्थित होटान एयरबेस पर तैनात चीनी फाइटर जेट और अवाक्स प्लेन की सेटेलाइट तस्वीरें सामने आईं थीं। इस एयरपोर्ट पर भी शेनयांग जे-8 इंटरसेप्टर एयरक्राफ्ट और शेयनांग की फाल्कर एयरक्राफ्ट की तैनाती की गई है। इसके अलावा शनाक्सी वाई-8जी और केजे-500 अवाक्स को यहां तैनात किया गया है। दरअसल चीन का यह होटान एयरबेस अत्याधिक ऊंचाई पर है, जिसकी वजह से चीन इस इलाके में हवाई शक्ति के मामले में भारत से कमजोर है।