कोरबा। करतला ब्लॉक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला तुमान के प्राचार्य पुरुषोत्तम पटेल द्वारा पद का दुरुपयोग करने का मामला एंटी करप्शन ब्यूरो पहुंच गया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने बिना परीक्षा दिए चार स्टूडेंट्स को अंक दिए जाने का सारा सबूत पेश करते हुए उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। बता दें कि पद का दुरुपयोग करने के ऐसे ही मामले में एक पूर्व डीईओ को बर्खास्त करते हुए जेल भेजा गया है।
करतला ब्लॉक में पद का दुरुपयोग करने के मामले में तुमान स्कूल के प्राचार्य ही नहीं फंसे हैं, बल्कि इस दायरे में वहां के 33 प्राचार्य भी आ रहे हैं। हालांकि इनके खिलाफ अभी किसी तरह की शिकायत नहीं हुई है। आरटीआई कार्यकर्ता ने 20 अगस्त को एंटी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर के डीएसपी को तुमान स्कूल के प्राचार्य के खिलाफ एक शिकायत पत्र सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि प्राचार्य पुरुषोत्तम पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रतिभावन छात्रों के भविष्य के साथ खिलावाड़ करते हुए चार छात्रों को बिना प्रायोगिक परीक्षा के फर्जी तरीके से अंक दे दिया है, जिसकी पुष्टि शिक्षा संभाग के संयुक्त संचालक द्वारा कराई गई जांच में हो गई है। संयुक्त संचालक ने दोषी प्राचार्य पर कार्रवाई करने के लिए जांच रिपोर्ट डीपीआई को भेजी है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा है कि आरोपी पुरुषोत्तम पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी एवं 13(2) के तहत प्रथम सूचना प्रतिवेदन दर्ज कर जांच के बाद कार्रवाई करें। यहां यह बताना जरूरी है कि कोरबा जिला प्रशासन द्वारा आईटीआई कॉलेज में अग्रगमन कोचिंग सेंटर का संचालन किया जा रहा है, जहां सरकारी स्कूलों के 10वीं की मेरिट सूची में आने वाले स्टूडेंट्स को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग दी जाती है। इनकी परीक्षाएं संबंधित संस्थाओं में होती है, लेकिन तुमान स्कूल के प्राचार्य ने बिना प्रैक्टिकल परीक्षा के चार छात्रों को अंक दे दिया है। यही कारनामा अन्य 33 स्कूलों के प्राचार्यों ने किया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने कहना है कि तुमान स्कूल के प्राचार्य के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में प्रकरण दर्ज होने के बाद अन्य 33 स्कूलों के प्राचार्यों को भी पार्टी बनाया जाएगा। इससे पहले इन प्राचार्यों के खिलाफ भी शिक्षा संभाग बिलासपुर के संयुक्त संचालक से जांच कराई जाएगी।
पूर्व डीईओ जा चुके हैं जेल
एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पद का दुरुपयोग करने के मामले में एक तत्कालीन डीईओ के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की गई थी। उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी एवं 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए कार्रवाई की मांग की थी। एंटी करप्शन ब्यूरो ने मामले की जांच की तो शिकायत सही मिली। लिहाजा, एसीबी कोर्ट ने आरोपी तत्कालीन डीईओ को 3-3 साल की सजा सुनाई थी। अभी आरोपी पूर्व डीईओ जेल में है।