बर्ड फ्लू के कहर के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को सभी राज्य मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को पत्र लिखकर उनसे एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने को कहा है। सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया जाना है। राज्य प्रवासी पशु-पक्षियों के नमूनों के संग्रह में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे। इसमें मृत पक्षियों का सैंपल अत्यंत सावधानी और वैज्ञानिक पर्यवेक्षण के साथ लिया जाएगा। वहीं, निगरानी केवल संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन क्षेत्रों में भी होगी, जहां प्रवासी पक्षी आते हैं।
राज्यों को सलाह दी गई है कि सैंपलिंग टेक्नीक पर पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए कर्मचारियों / अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए। प्रवासी पक्षियों की सभी मौतें- उनकी संख्या और कारण पत्र के जरिए से पर्यावरण मंत्रालय को बताया जाए। MoEFCC को भेजे गए नमूनों और परीक्षण रिपोर्टों के कलेक्शन और डिस्पैच के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए।
लेटर में लिखा गया कि किसी भी पक्षी के अनुचित व्यवहार या जंगली पक्षियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की मौत के लिए गहन निगरानी की जानी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि चिड़ियाघर में भी सतर्कता बरती जानी चाहिए। सभी राज्यों को महत्वपूर्ण पक्षी स्थलों की जानकारी के साथ-साथ वीकली रिपोर्ट मंत्रालय को भेजने के लिए कहा गया है। इसमें पक्षियों की संख्या और प्रजातियां, आने और रहने की अवधि, पिछले वर्षों की तुलना में प्रवासी पैटर्न में कोई भी परिवर्तन आदि का जिक्र करना होगा।
पत्र में आगे कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में प्रवासी पक्षियों सहित बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत की खबरें आई हैं। आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज, भोपाल में सैंपल H5Nl एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश और राजय इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएं और कोई भी संकेत मिलते ही पक्षियों की निगरानी करें। चिड़ियों की निगरानी के समय जिन लक्षणों को देखना है, वे हैं- कंपकंपी, दस्त, सिर का झुकाव, पैरालिसिस आदि।