बिलासपुर। सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष और ग्राम पंचायत मुरु के सरपंच के खिलाफ फर्जी शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई, जिसके विरोध में सरपंच संघ ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर जमकर हंगामा मचाया। सैकड़ों सरपंचों और पुलिस के बीच जमकर झूमा-झटकी हुई। आखिरकार एसएसपी और जिला प्रशासन के अफसरों की समझाइश पर घंटो बाद मामला शांत हुआ।
सरपंच संघ ने गुरुवार दोपहर सरपंचों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया। नारेबाजी करते हुए पहुंचे सरपंचों को सुरक्षा कर्मियों ने गेट पर रोक दिया, जिसके बाद सड़क में ही बैठकर हंगामा शुरू कर दिया। कुछ लोग कलेक्ट्रेट के गेट से कूदकर अंदर घुस गए। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो जमकर धक्का मुक्की गई।
फर्जी शिकायत पर बैठा दी जांच: सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय मुरु के सरपंच हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश भर के सरपंच पिछले 10 सितंबर से राज्य शासन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, और कलम बंद हड़ताल पर हैं। सरपंच संघ सरकार से 20 हजार रुपए मानदेय देने, 10 लाख रुपए सरपंच निधि देने के साथ ही कोरोना काल के दो साल के कार्यकाल को आगे बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव के कुछ लोगों के नाम से फर्जी शिकायत लेकर उनके खिलाफ आर्थिक अनियमितता की जांच शुरू कर दी गई है। जबकि, गांव के लोगों ने उनके खिलाफ कोई शिकायत ही नहीं की है। ऐसे में फर्जी शिकायत पर जांच करने से सरपंच संघ में आक्रोश भड़क गया है। उन्होंने फर्जी शिकायत वापस लेने और जांच निरस्त करने की मांग की है।
महिला सरपंच और पुलिसकर्मी से झूमा झटकी
सरपंच संघ के प्रदर्शन के दौरान कलेक्ट्रेट में पुलिसकर्मियों की संख्या कम थी। इसके चलते सरपंचों की भीड़ गेट से कूद कर कलेक्ट्रेट में घुस गए। पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन, वे गेट में चढ़ गए। इस दौरान महिला आरक्षक ने महिला सरपंच को रोकने की कोशिश की, तब उनके बीच झूमाझटकी शुरू हो गई और हंगामा हो गया।
सड़क पर बैठकर हंगामा
संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय सहित पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी ओर से फर्जी शिकायत वापस लेने की मांग की जा रही है। गुरुवार को संघ के पदाधिकारी और सदस्य रैली निकालकर कलेक्टोरेट का घेराव करने पहुंचे थे। इस दौरान कलेक्टोरेट का गेट बंद करने पर उन्होंने सड़क में बैठ कर जमकर नारेबाजी शुरू कर दी और धरने पर बैठ गए। फिर कलेक्ट्रेट के गेट से कूदकर अंदर घुस गए।
उन्होंने जिला प्रशासन के अफसरों के साथ मिलकर सरपंचों को समझाइश दी और जांच में शिकायत फर्जी पाए जाने पर कार्रवाई नहीं करने का भरोसा दिलाया, तब जाकर मामला शांत हुआ।