कहते हैं बुरे वक़्त पर ही सच्चे दोस्त की पहचान होती है। छत्तीसगढ़ के कोरबा एक ग्रामीण ने इस कहावत को सच के दिखाया। दरअसल एक जंगली भालू ने एक शख्स पर हमला किया, तभी दूसरे में अपनी जान की परवाह किये बिना ही भालू पर हमला करके अपने दोस्त को बचा लिया। वह चाहता, तो अपनी जान बचाकर भाग सकता था, लेकिन उस शख्स ने दोस्ती पहले चुनी। आखिरकार दोस्ती की ताक़त से सामने खूंखार जंगल भालू की ताक़त भी कमजोर साबित हुई। पढ़िए करतला के एक गांव के दो दोस्तों का किस्सा
मशरूम तोड़ने गए थे दोस्त, रास्ते में मिला खूंखार भालू
सच्चा दोस्त अगर साथ हो, तो इंसान बड़ी से बड़ी मुसीबतों से निकलने का हौसला रखता है,क्योंकि वह जानता है,दोस्त उसका साथ नहीं छोड़ेगा। छत्तीसगढ़ में एक व्यक्ति अपने दोस्त की जान बचाने के लिए भालू से भीड़ गया। मिली जानकारी के मुताबिक घटना करतला क्षेत्र के कोटमेर नाम के गांव की है,जहां दो ग्रामीण गांव से लगे जंगल में मशरूम तोड़ने के लिए गए थे,तभी उनके सामने एक खूंखार जंगली भालू आ गया।
5 किलोमीटर दूर घने जंगल में पहुंचे
जंगली भालू ने ग्रामीणों को सामने पाकर उनपर हमला कर दिया, जिससे बाद घायल ग्रामीण अब अस्पताल में भर्ती होकर इलाज का लाभ ले रहे हैं, लेकिन भालू से सामना होने का किस्सा इतना सरल भी नहीं हैं। दरअसल कोटमेर में रहने वाले श्यामलाल यादव और अंचल राम कंवर पक्के दोस्त हैं। वह अक्सर गांव से लगे घने जंगल से वनांचल क्षेत्रो में उपयोग की जाने वाली उपयोग की चीजे लेने साथ जाते हैं। इस बार दोनों करीब 5 किलोमीटर घने जंगल के भीतर पहुँच गए थे।
चाहता तो भाग सकता था, लेकिन दोस्त को बचाने भीड़ गया भालू से
बुधवार को भी दोनों दोस्त एक साथ जंगल थे,जहां उनका सामना खूंखार भालू से हो गया। भालू ने पहले श्याम लाल यादव पर हमला कर दिया और अपने पंजो से उसे उसकी जान ले ली लेता,तभी दोस्त अचल राम कंवर ने अपनी जान की परवाह किये बिना दोस्त को बचाने के लिए भालू पर ही हमला बोल दिया। भालू और राम कंवर बहुत देर तक लड़ते रहे, आखिरकार दोस्ती की ताक़त के आगे भालू का बल हार गया और वह घने जंगल की तरफ भाग गया, लेकिन इस संघर्ष में दोनों दोस्त गंभीर रूप से घायल हो गए।
किया 112 को कॉल, मचान बनाकर लाया गया जंगल से बाहर
गंभीर तौर पर घायल दोस्तों का जंगल से वापस घर लौटना भी मुश्किल था, लेकिन श्याम लाल ने बेहोश होने से पहले घटना की जानकारी डायल 112 को दे दी। जिसके बाद किस्मत से जंगल से गुजर रहे दूसरे ग्रामीणों ने भी पुलिस को घटना की जानकारी दी। थोड़ी ही देर में पुलिस और एंबुलेंस जंगल की तरफ पहुँच गए।
क्योंकि जंगल बस्ती से 5 किलोमीटर दूर था, इसलिए एंबुलेंस वहां तक नहीं जा सकती थी। ग्रामीणों ने पुलिस के जवानो के साथ साथ मिलकर लकड़ी का मचान तैयार करके घायल ग्रामीणों को 3 से 4 किलोमीटर पैदल उठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया। बहरहाल कोरबा के इस हिस्से में भालुओ के अलावा जंगली हाथियों का भी आतंक भी दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।