Monday, December 23, 2024
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फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर युवक को भेजा जेल, डॉक्टरों ने की शिकायत, कहा-थाने में नहीं दी कोई रिपोर्ट, युवक पर हत्या के प्रयास का केस…

बिलासपुर। साधारण मारपीट के 10 माह पुराने केस में युवक के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला बना दिया और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल जाने वाले युवक की मां ने जब डॉक्टरों से जानकारी ली, तब पता चला कि उन्होंने थाने में कोई क्वेरी रिपोर्ट ही नहीं दी है। इस फर्जीवाड़े की शिकायत दो डॉक्टरों ने पुलिस से की है। इधर, युवक की मां ने इस पूरे केस की जांच कर दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पूरा मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।

सरकंडा निवासी आशा सिंह ने बताया कि उनके बेटे शक्ति सिंह के खिलाफ जनवरी माह में उत्कर्ष दुबे ने सिविल लाइन थाने में मारपीट की शिकायत की थी, जिस पर पुलिस ने साधारण मारपीट का मामला दर्ज किया था। लेकिन, 10 माह बाद पुलिस उनके बेटे को घर से पकड़कर थाने ले गई। इस दौरान उसे बताया गया कि उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया है, जिस पर उसे गिरफ्तार किया गया है। उस समय आशा सिंह शहर से बाहर तीर्थ यात्रा पर गईं थीं। लौटने के बाद उन्होंने पूरी जानकारी जुटाई, तब पीड़ित पक्ष और पुलिस का कारनामा सामने आया।

आशा सिंह ने बताया कि उन्होंने जब पुलिस से मारपीट के पुराने केस में धारा 307 जोड़ने की जानकारी ली, तब पता चला कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है। क्वेरी रिपोर्ट में डॉक्टरों ने घायल उत्कर्ष दुबे को गंभीर चोट आने का जिक्र किया है। तब उन्होंने क्वेरी रिपोर्ट भेजने वाले स्काई अस्पताल के डॉक्टर नरेश कृष्णनानी और डॉक्टर राजीव सकूजा से जानकारी ली। इस दौरान डॉक्टरों ने इस तरह की कोई क्वेरी रिपोर्ट बनाने और पुलिस को देने से इंकार किया। तब इस फर्जीवाड़ा का राज खुला।

डॉक्टरों ने फर्जी हस्ताक्षर और सील करने दर्ज कराई है शिकायत

मामला उजागर होने के बाद पता चला कि दोनों डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाकर क्वेरी रिपोर्ट तैयार किया गया है। डॉ. कृष्णनानी और डॉ. सकूजा ने अपने फर्जी हस्ताक्षर करने और सील लगाकर पुलिस के पास प्रस्तुत करने की शिकायत सरकंडा थाने में दर्ज कराई है, जिस पर पुलिस जांच कर रही है।

पुलिस पर सवाल: आशा सिंह ने इस मामले में प्रार्थी उत्कर्ष दुबे सहित 4 लोगों के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सिविल लाइन पुलिस और जांच अधिकारी ने पीड़ित पक्ष के साथ मिलकर उनके बेटे को झूठा फंसाया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा है कि जब सिविल लाइन पुलिस ने घायल उत्कर्ष दुबे का मेडिकल कराया, तब जिला अस्पताल के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने साधारण चोंट बताया था। साथ ही उन्होंने एक्स-रे कराने की सलाह दी थी। लेकिन, उस समय उत्कर्ष ने एक्स-रे नहीं कराया और बिना बताए चला गया। इसके बाद पुलिस ने भी कोई ध्यान नहीं दी और न ही कोई डॉ. गुप्ता से क्वेरी कराई। यहां तक पुलिस ने एक्स-रे रिपोर्ट की भी जानकारी नहीं ली। फिर अचानक 10 माह बाद पुलिस ने फर्जी क्वेरी रिपोर्ट पर धारा 307 जोड़कर शक्ति सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

शिकायत पर की जा रही है जांच: इस केस पर सिविल लाइन टीआई परिवेश तिवारी ने सफाई देते हुए कहा है कि पुलिस ने प्रथम दृष्टया मेडिकल और क्वेरी रिपोर्ट देखकर धारा 307 जोड़ी है। इसमें जांच अधिकारी की कोई गलती नहीं है। क्योंकि, पुलिस को क्या पता कि रिपोर्ट फर्जी है। अब जब डॉक्टरों ने इसकी शिकायत की है, तब यह मामला सामने आया है। लिहाजा, डॉक्टरों की शिकायत पर सरकंडा पुलिस जांच कर रही है। जांच के बाद दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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