कांग्रेस (Congress) लगातार भाजपा सरकार से लोकतंत्र को खतरे की आशंका जता रही है। इस बीच राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सूरत सेशन कोर्ट से दो साल की सजा के बाद पार्टी नेताओं ने विरोध तेज करने की मंशा बनाई है। कांग्रेस अब एक बड़े आंदोलन की रणनीति बना रही है। इसको लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शुक्रवार शाम बैठक की, जिसमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, राजीव शुक्ला और तारिक अनवर, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और पवन कुमार बंसल समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।
विदेश में भारत के लोकतंत्र को लेकर राहुल गांधी के बयान पर कांग्रेस को भाजपा ने सदन में जमकर घेरा। भाजपा नेता लगातार देश ने उनसे माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। इस बीच शुक्रवार को संसद के निचले सदन ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी अपनी सजा की तारीख से लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य हैं। ऐसे में अब कांग्रेस भड़क गई है। संसद में राहुल गांधी की अयोग्यता के निर्णय के विरोध में कांग्रेस ने एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना बनाई है। इसे “लोकतंत्र बचाओ” नाम दिया है।
कांग्रेस की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि हमने राहुल गांधी की अयोग्यता पर राजनीतिक रणनीति पर चर्चा की। अभिषेक मनु सिंघवी ने सदस्यों को कानूनी रणनीति के बारे में जानकारी दी। हमने आने वाले दिनों में देश भर में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। पार्टी ने सभी विपक्षी नेताओं से विपक्षी एकता का आह्वान किया है। उन्होंने दावा किया कि कई कांग्रेस विधायक और क्षेत्रीय विपक्षी दलों के नेताओं ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, केसीआर और अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ भाजपा पर हमला किया और इसे तानाशाही रवैया बताया।
संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य होने के बाद राहुल गांधी ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा, “मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।” बता दें कि 2019 के आम चुनाव के दौरा एक जनसभा में पीएम पर दिए आपत्तिजनक बयान के मामले में गुरुवार को सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी पाया। मामले में अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल के कैद की सजा सुनाई है। जिसके बाद उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया।