छत्तीसगढ़ में नई सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपनी कैबिनेट का विस्तार कर लिया है। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए जिन 9 विधायकों शपथ ली हैं, उसमे 4 पूर्व मंत्री शामिल हैं, जबकि 8 नए चेहरों को मौका मिला है। इस प्रकार जिन्हे मंत्री नहीं बनाया गया है, उनके समर्थकों में बीच निराशा फ़ैल गई है, क्योंकि अब उनके नाम के आगे पूर्व मंत्री ही लिखा जायेगा।
कैबिनेट में हो सकते हैं केवल 13 सदस्य, 12 ने ली शपथ
90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत कुल 13 सदस्यों को ही शामिल किया जा सकता है। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा के अलावा 9 अन्य सदस्य शामिल हैं। इस प्रकार कुल 12 सदस्य शपथ ले चुके हैं, मंत्री पद का केवल 1 स्थान खाली है, जिसमे किसे मौका मिलेगा, यह आगे चलकर की पता चलेगा। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 54 सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की है। इन सीटों से जीतने वालों में वह नेता भी शामिल हैं, जो पूर्ववर्ती रमन सरकार में 15 साल तक मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है।
रमन सिंह के साथी कैबिनेट में शामिल
पूर्व सीएम रमन सिंह को छत्तीसगढ़ विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया गया है,जबकि उनकी कैबिनेट में हिस्सा रह चुके बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप, रामविचार नेताम और दयालदास बघेल विष्णुदेव साय कैबिनेट में भी शामिल हैं। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी टंकराम वर्मा, श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े की तरह पहली बार के मंत्रियों में शामिल हैं।
भाजपा के यह विधायक यह कहलायेंगे पूर्व मंत्री
छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके भाजपा विधायक भैयालाल राजवाड़े, राजेश मूणत, लता उसेंडी, पुन्नूलाल मोहले, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, विक्रम उसेंडी को इस बार मंत्रीमंडल में स्थान नहीं मिला है। चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्रियों की सूची में मोदी सरकार में मंत्री रहीं रेणुका सिंह भी शामिल हैं। इस लिहाज से चुनाव जीतकर भी भाजपा के यह दिग्गज नेता सामान्य विधायक की तरह सत्ता पक्ष का हिस्सा होंगे और अपने नाम के आगे पूर्व मंत्री जोड़ेंगे।
बहराहल भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जिन बड़े नेताओ मंत्री नहीं बनाया गया है, उन्हें निगम मंडलों में नियुक्ति दी जा सकती है या फिर उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है।