क्राइम

बिलासपुर: बिना बायोमेट्रिक चावल की मांग पर दुकान संचालक से मारपीट के मामले में दो लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज…

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत लोगों को चावल वितरित किया जाता है। सरकारी नियमों के अनुसार, चावल प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों को बायोमेट्रिक सत्यापन करना आवश्यक होता...

बिलासपुर।  जिले के ग्राम पंचायत कोपरा में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें राशन दुकान के संचालक अश्विनी सूर्यवंशी के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की गई। यह घटना तब हुई जब बिना बायोमेट्रिक चावल की मांग पर विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद के कारण, दुगेंश यादव और विष्णु यादव नामक व्यक्तियों ने अश्विनी सूर्यवंशी के साथ गाली-गलौज और मारपीट की।

घटना की जानकारी मिलते ही, हिर्री थाना में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दुगेंश यादव और विष्णु यादव के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। इस मामले की जांच जारी है और पुलिस द्वारा जल्द ही दोषियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ग्राम पंचायत कोपरा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत लोगों को चावल वितरित किया जाता है। सरकारी नियमों के अनुसार, चावल प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों को बायोमेट्रिक सत्यापन करना आवश्यक होता है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि वितरण में पारदर्शिता बनी रहे और हेराफेरी से बचा जा सके। लेकिन कुछ लोग इस नियम से असंतुष्ट हैं और बिना बायोमेट्रिक के चावल प्राप्त करने की मांग करते हैं।

ग्राम पंचायत कोपरा की यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी नियमों को लेकर लोगों के बीच कितनी असहमति हो सकती है। यह भी स्पष्ट करता है कि जब नियमों का पालन नहीं किया जाता, तो स्थिति कितनी जल्दी हिंसक रूप ले सकती है। इस मामले में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह न केवल दोषियों को सजा दिलाए, बल्कि यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

इस घटना ने गांव में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है, और स्थानीय लोग इस तरह की घटनाओं की निंदा कर रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि ऐसी घटनाएं सामाजिक समरसता को प्रभावित करती हैं और गांव के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ती हैं।

सरकारी योजनाओं का उद्देश्य जब तक लाभार्थियों तक सही तरीके से नहीं पहुँचता, तब तक ऐसी घटनाओं की संभावना बनी रहती है। ग्राम पंचायत कोपरा की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पारदर्शिता और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा। सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित करे और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

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