Sunday, December 22, 2024
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टीकाकरण के बाद फिर एक डेढ़ माह की मासूम की मौत: जांच की मांग और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया…

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) जिले के सेमदर्री गांव में डेढ़ माह के एक मासूम की टीकाकरण के बाद मौत हो जाने की दुखद घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। स्वजनों का आरोप है कि बच्चे की तबीयत टीका लगने के बाद ही बिगड़नी शुरू हुई और बाद में उसकी मौत हो गई। यह घटना उस समय सामने आई जब छह बच्चों को तीन सितंबर को आंगनबाड़ी केंद्र में टीका लगाया गया था।

तीन सितंबर को सेमरदर्री पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का नियमित टीकाकरण किया गया। डेढ़ माह के बच्चे को पेंटावैलेंट, पीवीसी, रोटावायरस, ईआईपीवी और पोलियो ड्रॉप दिया गया था। टीका लगने के कुछ देर बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी और अगले दिन उसकी हालत गंभीर हो गई। बच्चे को तुरंत मरवाही के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल गौरेला रेफर किया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई।

मृतक बच्चे के स्वजन का आरोप है कि टीकाकरण के तुरंत बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ी और अंततः उसकी मौत हो गई। उनका कहना है कि टीकाकरण से पहले बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था। इस आरोप के बाद जीपीएम जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

जिला टीकाकरण अधिकारी केके सोनी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बताया कि बच्चे की मौत का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है और इसके लिए जांच जारी है। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिन टीकाकरण कराए गए अन्य बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं, इसलिए यह संभावना कम है कि बच्चे की मौत टीकाकरण के कारण हुई हो।

स्वास्थ्य विभाग ने घटना की गंभीरता को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्र के सभी वैक्सीन को सील कर दिया है। वैक्सीन की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है, जिसमें जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. केके सोनी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिश ताम्रकार, बीएमओ हर्षवर्धन, जिला सर्विलेंस अधिकारी डॉ. एसके सिन्हा, कार्यक्रम प्रबंधक अरविंद सोनी और एनएचएम की डीपीएम विभा टोप्पो शामिल हैं। यह टीम घटना की पूरी जांच करेगी और बच्चे की मौत के कारणों का पता लगाएगी।

यह पहली बार नहीं है जब टीकाकरण के बाद ऐसी घटना सामने आई हो। बीते अगस्त माह में बिलासपुर के कोटा अंतर्गत पटैता में भी टीकाकरण के बाद दो बच्चों की मौत हो गई थी, जिससे राज्य स्तर पर हलचल मच गई थी। ऐसी घटनाओं के बाद यह आवश्यक हो जाता है कि टीकाकरण प्रक्रिया की हर पहलू की बारीकी से जांच की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

यह घटना वैक्सीन सुरक्षा पर सवाल उठाने के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी और कार्यशैली पर भी प्रकाश डालती है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण आवश्यक है और यह बच्चों को घातक बीमारियों से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसलिए, जांच के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है ताकि स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो सके और भविष्य में ऐसे हादसे न हों।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग से उम्मीद की जाती है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाएंगे और आम जनता में टीकाकरण के प्रति भरोसा बनाए रखेंगे।

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