बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में हुए लोहारीडीह प्रकरण और पुलिस की कथित लापरवाही के बाद राज्य सरकार ने त्वरित और कठोर कदम उठाए हैं। इस प्रकरण के कारण प्रशासनिक और पुलिस विभाग में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसमें कबीरधाम जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाया गया और 23 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है। इस कार्रवाई से साफ संकेत मिलता है कि राज्य सरकार इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।
कवर्धा जिले के ग्राम लोहारीडीह में उप सरपंच के घर पर भीड़ द्वारा आगजनी की घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गांव के 69 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसी दौरान प्रशांत साहू नामक व्यक्ति, जिसे पुलिस ने हिरासत में लिया था, की बुधवार को पुलिस हिरासत में मौत हो गई। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस पर अवैध गिरफ्तारी और जांच में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। इसके चलते मामले ने तूल पकड़ लिया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ने लगा।
इस घटना को लेकर प्रदेश सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए कबीरधाम जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाने का आदेश दिया। साथ ही, 23 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया। पुलिस महानिरीक्षक राजनांदगांव रेंज दीपक कुमार झा ने इस प्रकरण में थाना सिंघनपुरी के सहायक उपनिरीक्षक कुमार मंगलम और चौकी बरभांठा (कोतवाली) की महिला आरक्षक अंकिता गुप्ता को निलंबित किया। दोनों पुलिसकर्मियों पर लगे आरोपों को अत्यंत गंभीर माना गया है।
इसके अलावा रेंगाखार थाने के निरीक्षक झुमुक लाल सांडिल्य समेत अन्य 23 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया गया है, जिनमें सहायक उपनिरीक्षक, आरक्षक और अन्य कर्मी शामिल हैं। इन सभी पर लापरवाही और अवैधानिक कार्य करने का आरोप है।
मजिस्ट्रियल जांच के आदेश: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी निर्भय कुमार साहू को सौंपी गई है, जो इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कांग्रेस का छत्तीसगढ़ बंद आह्वान: कवर्धा कांड के बाद कांग्रेस ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है, लेकिन सरकार ने उससे पहले ही सख्त कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस घटना से यह साफ हो गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी भी स्तर पर सख्ती बरतने के लिए तैयार है। पुलिस और प्रशासन में किए गए इन बदलावों से राज्य में सरकार की सख्त नीतियों का संकेत मिलता है। राज्य की जनता और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटनाओं के प्रति सरकार की तेजी और सतर्कता ने कानून व्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।
यह घटना प्रशासनिक और पुलिस विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि लापरवाही की कोई भी गुंजाइश नहीं होगी, और किसी भी चूक का परिणाम सीधे कार्रवाई के रूप में सामने आएगा।