बिलासपुर के जिला अस्पताल से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही और अव्यवस्था को उजागर किया है। अस्पताल में नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान बिजली गुल हो गई, और डॉक्टरों को मजबूरन मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन करना पड़ा। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर सवाल उठने लगे हैं।
यह मामला तब सामने आया जब एक मरीज का नसबंदी ऑपरेशन किया जा रहा था और अचानक अस्पताल में बिजली चली गई। अस्पताल में किसी वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में, डॉक्टरों ने मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन करने का फैसला किया। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं और लोगों ने अस्पताल प्रशासन पर कड़ी आलोचना की।
यह पहली बार नहीं है जब बिलासपुर जिला अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लगे हैं। हाल ही में एक और मामला सामने आया था, जिसमें एक मरीज को बिना इलाज के रेफर कर दिया गया था। इस घटना ने भी काफी विवाद पैदा किया था, और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए मामले में जांच के आदेश दिए थे।
इस ताजा घटना के बाद, सोशल मीडिया पर जनता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जमकर नाराजगी जताई है। लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमियों को उजागर करती हैं। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ता जा रहा है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
अस्पताल प्रशासन ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा है कि बिजली गुल होने की स्थिति अनपेक्षित थी और स्थिति को संभालने के लिए तात्कालिक उपाय किए गए। हालांकि, इस सफाई से जनता की नाराजगी कम होती नहीं दिख रही है। लोगों का कहना है कि अस्पताल जैसी जगहों पर ऐसी घटनाओं से मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है और यह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की तत्काल जरूरत को दर्शाता है।
बिलासपुर जिला अस्पताल की यह घटना सरकारी अस्पतालों में सुधार की जरूरत पर जोर देती है। यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य सेवाओं में न केवल उपकरणों और संसाधनों की कमी है, बल्कि आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए भी पर्याप्त तैयारी नहीं है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस घटना पर क्या कदम उठाते हैं और क्या भविष्य में इस तरह की लापरवाही को रोका जा सकेगा।