बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में हरियाणा चुनाव परिणामों के संदर्भ में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि चुनावी नतीजों में जो बदलाव देखने को मिला, वह बैलेट पेपर और ईवीएम के बीच का अंतर था। बघेल के अनुसार, हरियाणा और छत्तीसगढ़ दोनों में बैलेट पेपर की गिनती में कांग्रेस आगे थी, लेकिन जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई, पार्टी पिछड़ने लगी। यह बयान भारतीय चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम की विश्वसनीयता पर एक बार फिर बहस को जन्म देता है।
भूपेश बघेल ने ईवीएम की प्रक्रिया को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हर जगह ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की जाती, बल्कि शंका बनाए रखने के लिए कुछ जगहों पर ही ऐसा होता है। उनका दावा है कि ईवीएम का खेल चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, ईवीएम का उपयोग भारत के चुनावों में एक दशक से अधिक समय से हो रहा है और इसे लेकर कई बार संदेह उठे हैं, लेकिन चुनाव आयोग हमेशा यह कहता आया है कि ईवीएम सुरक्षित हैं और इनमें गड़बड़ी संभव नहीं है।
बघेल का यह बयान उस समय आया है जब छत्तीसगढ़ और हरियाणा के चुनाव परिणाम लगभग समान दिखे। उन्होंने साफ कहा कि बैलेट पेपर की गिनती में कांग्रेस आगे थी, लेकिन ईवीएम की गिनती ने पार्टी की स्थिति को कमजोर कर दिया। यह टिप्पणी चुनाव प्रक्रिया और तकनीकी हस्तक्षेप पर नए सिरे से चर्चा का आह्वान करती है।
बढ़ते अपराध और महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता
रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में दर्शन करने के बाद भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में अपराध बढ़ने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछले 10 महीनों में प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर उन्होंने गहरी चिंता जताई और सरकार की विफलता पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में सुशासन की बात केवल दिखावा बनकर रह गई है, क्योंकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।
लोहारीडीह घटना और पुलिस की भूमिका
लोहारीडीह घटना पर बात करते हुए पूर्व सीएम ने पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस अगर चाहती तो इस घटना को रोक सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उनका आरोप है कि सरकार छत्तीसगढ़ के लोगों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रही है। यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पर आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या वे 167 लोगों को मृत्युदंड दिलाने की कोशिश कर रहे हैं?
व्यक्तिगत आरोपों और राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
अपने बेटे के खिलाफ चल रही जांच और पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भी बघेल ने सीधे तौर पर डॉ. रमन सिंह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे, तब से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। ईडी, आईटी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का उपयोग उनके खिलाफ किया गया और अब उनके परिवार को भी निशाना बनाया जा रहा है। यह आरोप भारतीय राजनीति में परिवारवाद और राजनीतिक प्रतिशोध की बहस को फिर से उभारता है।
नक्सलवाद पर विचार
नक्सलवाद पर बोलते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समाप्त करने की कोशिशें होनी चाहिए, लेकिन भाजपा सरकार का दावा कि 2026 तक नक्सलवाद खत्म हो जाएगा, उन्हें अवास्तविक लगता है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण और आदिवासी लोगों पर फर्जी एनकाउंटर किए जा रहे हैं, जिससे नक्सलवाद की समस्या और बढ़ती जा रही है। हमारे सरकार में एक भी फर्जी एनकाउंटर नहीं हुआ है।
भूपेश बघेल के ये बयान भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हैं और ईवीएम के उपयोग से लेकर नक्सलवाद और अपराध तक कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी असहमति को सामने लाते हैं। बघेल का दावा है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार प्रदेश के लोगों की सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया दोनों पर सही तरीके से ध्यान नहीं दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन मुद्दों पर भाजपा सरकार की प्रतिक्रिया क्या होती है और आगामी चुनावों में इन सवालों का क्या असर पड़ता है।