बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में तीन हाथियों की मौत का मामला हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के संज्ञान में आया। हाथियों की इन दु:खद मौतों के पीछे बिजली करंट को जिम्मेदार ठहराया गया है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की पीठ ने इस प्रकरण में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ ऊर्जा विभाग के सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर से मामले पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 20 नवंबर को निर्धारित की गई है, जब इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना अकेली नहीं है। बिजली करंट से वन्यजीवों की मौत का मामला पिछले कुछ वर्षों में बढ़ता जा रहा है। रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने भी इस जनहित याचिका में हस्तक्षेप करते हुए बताया कि बिलासपुर वन मण्डल में 1 अक्टूबर को बिजली करंट की चपेट में आकर एक हाथी शावक की मृत्यु हो गई थी। इसके अतिरिक्त, 9 अक्टूबर को कांकेर में बिजली तार टूटने से तीन भालुओं की मौत हो गई थी।
यह समस्या केवल वन्यजीवों तक सीमित नहीं है। 15 अक्टूबर को कोरबा में शिकार के लिए लगाए गए बिजली के तार से दो व्यक्तियों की जान चली गई, और 21 अक्टूबर को अंबिकापुर के बसंतपुर जंगल में भी शिकार के लिए लगाए गए बिजली तार ने एक व्यक्ति की जान ले ली।
उच्च न्यायालय ने वन्यजीवों और मनुष्यों की इन असामयिक मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले नितिन सिंघवी की याचिका पर भी शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, ताकि इन घटनाओं के संदर्भ में सटीक जानकारी प्राप्त हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
बिजली करंट से हो रही इन घटनाओं ने राज्य के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जंगलों में बिजली तारों का उचित प्रबंधन न होना और शिकारियों द्वारा अवैध रूप से बिजली तारों का उपयोग करना, दोनों ही कारण वन्यजीवों और मनुष्यों की मौतों के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ और पर्यावरणविद इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इन घटनाओं से न केवल वन्यजीव संरक्षण को नुकसान हो रहा है, बल्कि इंसानी जिंदगियां भी दांव पर लगी हैं।
कोर्ट द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे बिजली विभाग और विद्युत वितरण कंपनियों की जिम्मेदारी तय की जा सकेगी। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जंगलों में लगे बिजली तारों की सुरक्षा का सही प्रबंधन हो और अवैध शिकार की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
आने वाली सुनवाई में उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग ठोस कदम उठाने की दिशा में कोई ठोस योजना प्रस्तुत करेंगे, ताकि वन्यजीवों और मानव जीवन की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।