Thursday, April 10, 2025
Homeबिलासपुरबिलासपुर प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ...

बिलासपुर प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर याचिका खारिज: हाईकोर्ट का आदेश…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिलासपुर प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित के पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की द्विसदस्यीय पीठ (डीबी) ने याचिका को “आधारहीन” और “अस्पष्ट” करार देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वह किस प्रकार की राहत चाहता है।

याचिकाकर्ता तिलक राज सलूजा, ने प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली पर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि इरशाद अली ने समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार किया और नियमों के विपरीत भूमि आवंटन में लिप्त थे।

याचिका में तिलक राज सलूजा ने समिति के अध्यक्ष के कार्यवृत्त, नए सदस्यों की सूची, और भूमि आवंटन से संबंधित प्रस्तावों की जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 के तहत मांगी थी। हालांकि, याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हें यह जानकारी प्रदान नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने सचिव/पंजीयक, सहकारी समितियां, रायपुर को यह अवगत कराया कि समिति का कार्यकाल 4 फरवरी 2022 को समाप्त हो गया है और अध्यक्ष इरशाद अली द्वारा की गई कथित गड़बड़ियों की जांच कर कार्रवाई की जाए।

राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है, उसे याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है। सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि इस आधार पर याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका अस्पष्ट और अधूरी प्रतीत होती है। याचिका में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में किस प्रकार की राहत चाहता है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में ठोस आधार न होने के कारण इसे खारिज किया जाता है।

यह फैसला उन मामलों में एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, जहां कानूनी प्रक्रिया में पक्षकारों की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए और याचिका में समुचित आधार प्रस्तुत करना आवश्यक होता है। कोर्ट के इस आदेश से यह संदेश मिलता है कि केवल आरोप लगाने से एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकती, बल्कि उचित कानूनी प्रक्रिया और ठोस साक्ष्यों की भी आवश्यकता होती है।

बिलासपुर प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति से जुड़े इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि केवल आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज कराने की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। इस मामले ने कानूनी प्रक्रियाओं और याचिका दायर करने में स्पष्टता और साक्ष्य की महत्ता को रेखांकित किया है।

spot_img
spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!