बिलासपुर: छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह, जो राजद्रोह, ब्लैकमेलिंग और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में फंसे थे, को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामलों की एफआईआर को रद्द कर दिया है। इस फैसले से जीपी सिंह के खिलाफ लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया का अंत होता नजर आ रहा है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों में कोई ठोस सबूत नहीं है। अदालत ने यह भी माना कि उन्हें राजनीतिक कारणों से परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। जीपी सिंह ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि उनके खिलाफ दर्ज मामले राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हैं और उन्हें फंसाने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे।
1 जुलाई 2021 को जीपी सिंह और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छत्तीसगढ़ एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) और ईओडब्ल्यू (इकोनॉमिक ऑफेंस विंग) की टीम ने छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान 10 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ था, जिसे जीपी सिंह की अवैध संपत्ति बताया गया था। इस छापे में कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद होने का दावा किया गया था, जिनके आधार पर रायपुर पुलिस ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।
जीपी सिंह पर भ्रष्टाचार के अलावा धमकी देकर पैसे वसूलने के भी आरोप लगाए गए थे। साल 2015 के एक मामले में, दुर्ग निवासी कमल सेन और बिल्डर सिंघानिया के बीच व्यावसायिक विवाद में जीपी सिंह पर 20 लाख रुपये की अवैध वसूली का आरोप था। इस मामले में जीपी सिंह को धमकाने और ब्लैकमेलिंग करने के आरोपों का सामना करना पड़ा था।
एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच के बाद जीपी सिंह को भ्रष्टाचार और राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्हें कुछ समय तक जेल में रहना पड़ा। हालांकि, बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। लेकिन एफआईआर और मामलों के चलते उनके करियर पर सवाल खड़े हो गए थे।
जीपी सिंह ने लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार के तहत उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। हाईकोर्ट में दायर याचिका में भी उन्होंने इसी तर्क को आधार बनाया और अदालत ने भी इस पर सहमति जताई।
हाईकोर्ट ने कहा कि जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों में कोई स्पष्ट सबूत नहीं है जो उन्हें दोषी साबित कर सके। अदालत ने उनके खिलाफ सभी एफआईआर को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है। इस फैसले के बाद जीपी सिंह के खिलाफ चल रहे सभी कानूनी मामलों का अंत हो गया है।
जीपी सिंह का यह मामला छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहा है। अदालत के इस फैसले से जहां उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं उनके खिलाफ आरोप लगाने वालों के लिए यह बड़ा झटका साबित हुआ है।