बिलासपुर की 7 वर्षीय बच्ची, समायरा उभरानी, ने हाल ही में कोलकाता में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अबेकस एसआईपी प्रोडीजी प्रतियोगिता 2024 में तीसरा स्थान हासिल करके न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश का नाम रौशन किया है। यह प्रतियोगिता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई थी, जिसमें 11 देशों के लगभग 6,000 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। समायरा ने अपने अबेकस कौशल के साथ लेवल 2A श्रेणी में तीसरा स्थान प्राप्त किया और बालिका वर्ग में पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान भी हासिल किया। यह उपलब्धि नन्ही समायरा की कड़ी मेहनत, उसके माता-पिता और उसके गुरुजनों के सहयोग का परिणाम है।
प्रतियोगिता का महत्व और समायरा की सफलता
अंतर्राष्ट्रीय अबेकस एसआईपी प्रोडीजी प्रतियोगिता एक महत्वपूर्ण मंच है, जहाँ विभिन्न देशों के प्रतिभाशाली बच्चे अपने मानसिक गणना कौशल और तेज़ गणना क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं। इस प्रतियोगिता में शामिल होना ही एक बड़ी बात है, लेकिन समायरा ने न केवल इसमें भाग लिया, बल्कि तीसरा स्थान प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता असाधारण है। इतनी छोटी उम्र में इतने बड़े मंच पर अपनी क्षमता दिखाना उनके अंदर मौजूद विलक्षण प्रतिभा का संकेत है।
समायरा की सफलता का सफर
समायरा के इस सफर में सबसे बड़ी भूमिका उनके माता-पिता और गुरुजनों की रही है। उनकी प्रतिभा को पहचानकर और उसे सही दिशा में विकसित करने के लिए उनके माता-पिता और अबेकस प्रशिक्षकों ने पूरा सहयोग दिया। उनके गुरुजनों का मार्गदर्शन और समर्थन समायरा को एक मजबूत मानसिकता और आत्मविश्वास प्रदान करने में सहायक रहा।
*एसआईपी अबेकस* के प्रशिक्षक, जो बच्चों में गणितीय कौशल और मानसिक क्षमता को विकसित करने में माहिर हैं, ने समायरा के प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभाई। समायरा की मेहनत और समर्पण ने उसे इस मुकाम तक पहुँचाया है, जो अब दूसरे बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
नन्हे बच्चों के लिए प्रेरणा
समायरा उभरानी अब अपने शहर और राज्य के नन्हे बच्चों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। उसकी यह उपलब्धि दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और समर्पण के साथ कोई भी बच्चा अपनी क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है। समायरा की इस सफलता से अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी, और वे अपनी प्रतिभा को और भी बेहतर तरीके से निखारने की कोशिश करेंगे।
भविष्य की संभावनाएँ
समायरा की इस शुरुआती उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि वह भविष्य में और भी बड़े मंचों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए तैयार है। अबेकस के माध्यम से उसने जो बौद्धिक क्षमता और आत्मविश्वास प्राप्त किया है, वह उसके शैक्षणिक जीवन और व्यक्तिगत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
समायरा उभरानी की यह उपलब्धि न केवल उनके माता-पिता और गुरुजनों के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे देश के लिए भी प्रेरणादायक है। उनकी मेहनत और लगन ने यह साबित किया है कि उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर आपके अंदर आत्मविश्वास और समर्पण हो, तो आप किसी भी ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं।