16 नवंबर 2024 की रात झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में दिल दहलाने वाली घटना घटी, जब विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में 45 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन इस दुखद घटना ने अस्पताल परिसर में हाहाकार मचा दिया। आग बुझाने के लिए दमकल विभाग के साथ सेना को भी बुलाया गया और तत्काल बचाव कार्य शुरू किया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात करीब पौने 11 बजे एसएनसीयू वार्ड से अचानक धुआं निकलता हुआ देखा गया। लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही आग की लपटें उठने लगीं और वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। वार्ड में उस वक्त कुल 55 नवजात शिशु भर्ती थे। आग लगने के साथ ही भगदड़ मच गई और शिशुओं को बाहर निकालने के प्रयास शुरू हो गए। लेकिन धुआं और दरवाजे पर फैली आग की लपटों के कारण शिशुओं को समय पर बाहर नहीं निकाला जा सका।
दमकल विभाग की करीब 15 गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सेना को भी मदद के लिए बुलाया गया, जिसने आग बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बचाव कार्य के दौरान 45 नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, जिनका इलाज चल रहा है। लेकिन दुर्भाग्यवश 10 नवजात शिशु आग और धुएं से बुरी तरह झुलसने या दम घुटने के कारण अपनी जान गंवा बैठे।
प्राथमिक जानकारी के अनुसार, हादसे की वजह ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर में शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। जैसे ही कंसन्ट्रेटर में आग लगी, देखते ही देखते पूरी वार्ड में आग फैल गई और बच्चों को बाहर निकालने का समय बहुत कम बचा। हालांकि, वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है और विशेषज्ञों की टीम ने घटनास्थल की जांच शुरू कर दी है।
घटना की सूचना मिलते ही जिले के सभी प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारी स्थिति पर नियंत्रण बनाने में जुट गए। अस्पताल की बिजली काट दी गई ताकि और किसी उपकरण में आग न लगे। फिलहाल, 30 से अधिक बच्चों का रेस्क्यू किया गया है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है।
मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। वहीं, राज्य सरकार ने भी घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।
इस दर्दनाक हादसे से अस्पताल परिसर में मातम का माहौल है। अपने बच्चों को खोने वाले माता-पिता का दर्द बयां करना मुश्किल है। वे अपने नवजातों को बचाने के लिए अस्पताल के अंदर जाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन आग और धुएं की घुटन के चलते स्थिति बेहद नाजुक थी। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और अस्पताल प्रशासन से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
इस हादसे ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया है। आग लगने की घटनाएं न केवल चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि जीवन की सुरक्षा की अहमियत पर भी जोर देती हैं। अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस दुखद घटना से सबक लेते हुए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की व्यापक समीक्षा की जाए और उन्हें सख्ती से लागू किया जाए।
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई इस घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। 10 नवजात शिशुओं की असमय मौत ने लोगों के दिलों को गहरी चोट दी है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से 45 बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन सवाल उठता है कि अगर आग की सुरक्षा के इंतजाम पहले से होते, तो शायद इतने मासूमों की जान बचाई जा सकती थी।