बिलासपुर जिले के पचपेड़ी थाना क्षेत्र में एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, जहां एक 11 वर्षीय पांचवीं कक्षा के छात्र ने मोबाइल को लेकर हुए विवाद के चलते आत्महत्या कर ली। यह घटना उस समय हुई जब मृतक छात्र के माता-पिता खेत में काम करने गए थे और उसके दोनों बड़े भाई स्कूल गए थे। घटना के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर है और लोगों में इस घटना ने गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या तकनीक के अत्यधिक उपयोग और उसके प्रति बढ़ते लगाव से हमारे बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं?
घटना के दिन छात्र के माता-पिता खेत पर काम करने के लिए गए हुए थे, जबकि उसके दोनों बड़े भाई स्कूल गए थे। दोपहर के समय, जब बड़े भाई स्कूल से घर लौटे, तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया, पर कोई उत्तर नहीं मिला। दरवाजा न खुलने पर उन्होंने खिड़की से अंदर झांका, जहां उन्होंने अपने छोटे भाई को फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया। यह मंजर देखकर वह सन्न रह गए। उन्होंने तुरंत पड़ोसियों और माता-पिता को सूचना दी, जिन्होंने मौके पर पहुंचकर पुलिस को जानकारी दी।
पुलिस की प्रारंभिक जांच और पूछताछ से यह सामने आया है कि तीनों भाइयों के बीच अक्सर मोबाइल को लेकर विवाद होता रहता था। मोबाइल का उपयोग करना आजकल के बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, खासकर जब ऑनलाइन कक्षाएं और डिजिटल कंटेंट का उपयोग बढ़ा है। इस बढ़ते उपयोग के साथ ही, तकनीक पर निर्भरता भी बच्चों में मानसिक तनाव और परिवार में विवाद का कारण बनती जा रही है। घटना के दिन भी मोबाइल को लेकर हुए विवाद ने इस मासूम की जान ले ली।
पचपेड़ी पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ है कि मोबाइल के झगड़े ने इस दुखद घटना को अंजाम दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम बच्चों को पर्याप्त मानसिक संबल दे पा रहे हैं ताकि वे ऐसी समस्याओं से निपट सकें?
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। बच्चों के जीवन में मोबाइल और तकनीक के उपयोग को नियंत्रित करना और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आज की आवश्यकता है। अभिभावकों को बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए और उन्हें भावनात्मक संबल देना चाहिए, ताकि वे ऐसी परिस्थितियों में सही मार्ग चुन सकें।
बच्चों के जीवन में मोबाइल जैसी छोटी-छोटी चीजें उनके लिए कितनी बड़ी हो सकती हैं, इस घटना ने हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है। समाज के सभी वर्गों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।