बिलासपुर। भारतीय मजदूर संघ ने अपने सत्तरवें वर्ष में प्रवेश करते हुए देशभर में श्रमिकों की समस्याओं को जानने और उनके समाधान हेतु एक राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान चलाया है। इस अभियान का उद्देश्य संगठित और असंगठित क्षेत्र के लगभग 40 करोड़ श्रमिकों तक पहुंचकर उनके मुद्दों को समझना और उन पर ठोस कदम उठाने की दिशा में कार्य करना है। इसी कड़ी में जिला बिलासपुर में भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों द्वारा अभियान का पहला दिन महत्वपूर्ण रहा।
श्रमिकों की मांगें और समस्याएं
शनिचरी और बृहस्पति बाजारों में हजारों की संख्या में हर दिन निर्माण श्रमिक एकत्रित होते हैं, जो अपनी रोजी-रोटी के लिए मजदूरी का इंतजार करते हैं। इन श्रमिकों से संपर्क करने पर निम्नलिखित मांगें सामने आईं, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए अति आवश्यक हैं:
1. पुलिस सुरक्षा की मांग
श्रमिकों की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है। सुबह 7 बजे से 11 बजे तक, जब श्रमिक इन स्थानों पर एकत्र होते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचाने के लिए पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है। भारतीय मजदूर संघ ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इन स्थानों पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाए ताकि श्रमिकों को सुरक्षा मिल सके और यातायात व्यवस्था भी सुचारू रूप से संचालित हो।
2. कलेक्टर दर पर भुगतान
श्रमिकों को उनके श्रम के बदले उचित पारिश्रमिक मिलना चाहिए। भारतीय मजदूर संघ ने इस बात पर जोर दिया है कि निर्माण श्रमिकों को कलेक्टर द्वारा निर्धारित मजदूरी दर पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए, जिससे उनके आर्थिक हालात में सुधार हो सके।
3. श्रमिकों का पंजीयन और सरकारी योजनाओं का लाभ
संघ ने श्रमिकों के पंजीकरण की मांग की है ताकि वे श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ उठा सकें। विशेष कैंप लगाकर इन श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीयन कराने और उन्हें श्रम कार्ड प्रदान करने की मांग की गई है, जिससे उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके।
प्रशासन से अपेक्षाएं
भारतीय मजदूर संघ का यह प्रयास केवल श्रमिकों की समस्याओं को उठाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके समाधान के लिए प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहा है। जिला प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह न केवल श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, बल्कि उन्हें उनके हक का मेहनताना भी दिलवाए और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए उचित कदम उठाए।
निर्माण श्रमिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भारतीय मजदूर संघ का यह कदम सराहनीय है। यह अभियान न केवल श्रमिकों के कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे उनके जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद भी की जा सकती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों पर किस तरह की कार्रवाई करता है और श्रमिकों के हित में कितनी तेजी से निर्णय लिए जाते हैं।