बिलासपुर, 5 दिसम्बर 2024। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा आज बिलासपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित 30 प्रकरणों पर जनसुनवाई की गई। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य सरला कोसरिया और लक्ष्मी वर्मा ने इन मामलों पर विचार-विमर्श किया। यह सुनवाई जल संसाधन प्रार्थना भवन में आयोजित की गई थी, और यह प्रदेश स्तर पर 293वीं एवं बिलासपुर में 17वीं जनसुनवाई थी।
प्रमुख प्रकरणों पर विचार
1. नौकरी के झांसे में ठगी
एक प्रकरण में एक अनावेदक ने आवेदिका से शासकीय नौकरी दिलाने का झांसा देकर 2.10 लाख रुपये लिए थे। अनावेदक, जो शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत है, अब तक पैसा लौटाने में असफल रहा है। आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए यह स्पष्ट किया कि अगर 13 दिसंबर 2024 तक अनावेदक 1 लाख रुपये नहीं लौटाता है, तो उसकी सरकारी सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की जाएगी। इस पर अनावेदक ने एक लाख रुपये देने के लिए तैयार होने की बात कही और समय मांगा है।
2. दूसरा विवाह विवाद
एक और प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक दोनों ने दूसरा विवाह कर लिया था, जबकि उनके बीच तलाक नहीं हुआ था। आयोग ने चार जिंदगियों को प्रभावित करने से बचने के उद्देश्य से यह प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया, क्योंकि दोनों पक्षों ने अपने निर्णय खुद लिए थे।
3. सम्पत्ति विवाद का समाधान
एक अन्य मामले में आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद संपत्ति विवाद का मामला सामने आया। आयोग की समझाइश पर दोनों पक्ष सुलहनामा के लिए तैयार हो गए। रायपुर में अधिवक्ता की मध्यस्थता से इस मामले का समाधान निकाला जाएगा। सभी बकाया राशि, बीमा और जमा धनराशि के संबंध में सहमति बनी, जिसमें आवेदिका अपने स्वर्गीय पति के इलाज में खर्च हुई राशि अनावेदक को लौटाने के लिए तैयार हुई।
4. मायके में रहने का मामला
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने विवाह के एक महीने के भीतर ही मायके चली गई थी और वापस आने से इनकार कर रही थी। अनावेदक ने उसे चार बार बुलाने का प्रयास किया, लेकिन आवेदिका ने तलाक का मामला न्यायालय में दायर कर रखा है। आयोग ने यह मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण नस्तीबद्ध कर दिया।
महिला आयोग द्वारा की गई सुनवाईयों ने न केवल त्वरित न्याय प्रदान करने का काम किया बल्कि कई जिंदगियों को सामान्य स्थिति में लाने की दिशा में भी कदम उठाया। आयोग ने उन मामलों में भी सक्रिय भूमिका निभाई, जहां आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का प्रयास किया गया। आयोग का यह दृष्टिकोण न्यायालयीन प्रक्रियाओं के लंबित होने पर भी आपसी समझौते से समाधान निकालने की दिशा में प्रेरणादायक है।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की ये सुनवाईयां यह साबित करती हैं कि कैसे सामाजिक मुद्दों को कानून के साथ-साथ मानवता के दृष्टिकोण से सुलझाया जा सकता है। महिला उत्पीड़न के मामलों में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आयोग की सक्रियता सराहनीय है। ऐसे निर्णय ना केवल विवादों का समाधान करते हैं, बल्कि पीड़ित पक्षों को न्याय की उम्मीद भी देते हैं।