बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत बसिया के सरपंच और उप सरपंच को शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया गया। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक पद पर आसीन व्यक्ति भी कानून के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई से बच नहीं सकते हैं।
ग्राम पंचायत बसिया की सरपंच उषा यादव और उप सरपंच बलदाऊ यादव पर शासकीय घास भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोप लगे थे। इस मामले की जांच के बाद प्रशासन ने पाया कि सरपंच उषा यादव ने घास भूमि पर पक्का मकान निर्माण करवाया था, जबकि उप सरपंच बलदाऊ यादव ने शासकीय भूमि के एक हिस्से पर डेयरी फार्म खोल लिया था। इन दोनों द्वारा किए गए कार्य शासकीय भूमि के नियमों का उल्लंघन थे, जिसे तहसीलदार द्वारा जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट किया गया।
अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के अनुसार, उषा यादव के पति कृष्ण कुमार यादव ने ग्राम के गोठान के पास स्थित शासकीय भूमि पर पक्का मकान बनवाने का कार्य शुरू किया था। इस भूमि का खसरा नम्बर 231/1 और रकबा 8.260 हेक्टेयर बताया गया, जो शासकीय घास भूमि के अंतर्गत आता है। इसी प्रकार, बलदाऊ यादव ने खसरा नम्बर 213/8 की 0.607 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर डेयरी फार्म स्थापित किया था।
जब प्रशासन ने इस मामले की गहन जांच की तो पाया कि सरपंच और उप सरपंच दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया है। सरपंच ने मकान निर्माण और उप सरपंच ने डेयरी फार्म बनाने की बात स्वीकार की, जिससे यह सिद्ध हो गया कि दोनों जनप्रतिनिधियों ने सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया है।
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 36(1) के तहत, शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इस प्रावधान के तहत, ग्राम पंचायत के किसी भी पदाधिकारी को उनके पद से हटाया जा सकता है यदि वे किसी अनैतिक या अवैध कार्य में संलिप्त पाए जाते हैं। इस मामले में, प्रशासन ने इसी कानून का पालन करते हुए सरपंच उषा यादव और उप सरपंच बलदाऊ यादव को तत्काल प्रभाव से उनके पद से बर्खास्त कर दिया।
यह घटना शासकीय भूमि के अवैध अतिक्रमण के मामलों पर प्रशासनिक सख्ती को दर्शाती है। इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जनप्रतिनिधियों का पद उन्हें कानून से ऊपर नहीं रखता है। शासकीय भूमि का अवैध कब्जा न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग का भी गंभीर मामला है। इस प्रकार के मामलों में निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि प्रशासनिक प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय बना रहे।
इस घटना के बाद बसिया ग्राम पंचायत के अन्य सदस्यों और ग्रामीणों में भी प्रशासन के प्रति जागरूकता और कानून के प्रति सम्मान की भावना बढ़ेगी। यह घटना इस बात का भी उदाहरण है कि पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन ईमानदारी और निष्ठा से करना चाहिए।
ग्राम पंचायत बसिया के सरपंच और उप सरपंच की बर्खास्तगी से यह साबित होता है कि किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार या शासकीय भूमि का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह प्रशासनिक कार्रवाई एक आवश्यक कदम था, जो अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए एक चेतावनी के रूप में कार्य करेगा कि कानून के उल्लंघन पर उन्हें भी इसी प्रकार की सख्त सजा का सामना करना पड़ सकता है।