बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) और बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) धारियों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद पर कोर्ट ने एक बार फिर से सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर 15 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और राज्य सरकार की देरी
इस विवाद का आधार डीएड और बीएड धारियों के बीच की नियुक्ति प्रक्रिया है, जिसमें बार-बार देरी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार की एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) को खारिज कर दिया था, जिसमें बीएड धारियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर रखने का आदेश था। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में देरी की, जिससे उम्मीदवारों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया।
हाईकोर्ट की नाराजगी
हाईकोर्ट ने पहले भी राज्य सरकार को कई बार चेतावनी दी है और इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा है। पिछले माह सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया था कि 21 दिनों के भीतर डीएड धारियों की नई चयन सूची तैयार कर कोर्ट में पेश की जाए। बावजूद इसके, सरकार द्वारा लिस्ट जमा नहीं की गई, जिस पर कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी। इस सुनवाई में भी राज्य सरकार ने 2855 डीएड और डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) धारियों की सूची पेश की, लेकिन कोर्ट ने यह जानने की कोशिश की कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने में और कितना समय लगेगा।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने मिड-सेशन में नई नियुक्तियों से उत्पन्न समस्याओं का हवाला देते हुए और समय की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में और समय बढ़ाने का अधिकार नहीं है, और यह कि भर्ती प्रक्रिया में अब और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कोर्ट का अंतिम आदेश
कोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए 15 दिनों का अंतिम मौका दिया है। इसके साथ ही, यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि 15 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो हाईकोर्ट द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला पहले से ही लंबित है और अब और समय नहीं दिया जा सकता।
लगातार बढ़ रही अवमानना याचिकाएं
यह मामला अब चौथी बार अवमानना याचिका तक पहुंच चुका है। बीएड और डीएड धारियों के विवाद के कारण राज्य सरकार की कार्यवाही पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय-सीमा तय कर दी है, जिससे अब उम्मीदवारों को उम्मीद है कि यह विवाद जल्द ही समाप्त होगा और उनकी भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी।
हाईकोर्ट का यह आदेश डीएड धारियों के लिए राहत की खबर हो सकता है, क्योंकि लंबी देरी और असमंजस की स्थिति के बाद अब भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया गया है। यदि सरकार इस निर्देश का पालन नहीं करती है, तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यह मामला इस बात का प्रतीक है कि प्रशासनिक देरी और न्यायिक प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि उम्मीदवारों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।