भारत में शतरंज के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय तब जुड़ा जब 18 साल के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीतकर देश का नाम रोशन किया। गुकेश की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण है, बल्कि भारतीय शतरंज के लिए भी गर्व का पल है। इससे पहले, भारत के विश्वनाथन आनंद ही वर्ल्ड चेस चैंपियन बने थे। गुकेश आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय और सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं।
इतिहास में सबसे युवा चैंपियन
डी गुकेश ने मात्र 18 साल की उम्र में वह कारनामा कर दिखाया जिसे बहुत से खिलाड़ी अपने करियर भर में हासिल नहीं कर पाते। उन्होंने चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को रोमांचक मुकाबले में 14वें गेम में हराकर 7.5-6.5 के स्कोर से जीत दर्ज की। यह जीत और भी खास इसलिए है क्योंकि यह एक कठिन और लंबी लड़ाई के बाद आई। गुकेश ने 13वें गेम में ड्रॉ के बाद निर्णायक 14वें गेम में लिरेन को मात दी और वर्ल्ड चैंपियन बन गए।
कड़ी प्रतिस्पर्धा में जीत
गुकेश और लिरेन के बीच यह मैच बेहद प्रतिस्पर्धात्मक रहा। जहां गुकेश ने तीसरा, 11वां और 14वां गेम जीता, वहीं लिरेन ने पहला और 12वां गेम अपने नाम किया। बाकी सभी गेम ड्रॉ पर समाप्त हुए। खास बात यह है कि 13वें गेम के बाद दोनों खिलाड़ियों का स्कोर 6.5-6.5 से बराबर था, जिसके बाद आखिरी गेम ने निर्णायक भूमिका निभाई।
डी गुकेश: नई उम्मीद
गुकेश की इस उपलब्धि ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक उभरते हुए शतरंज सितारे के रूप में स्थापित कर दिया है। वह न सिर्फ अपनी उम्र के खिलाड़ियों बल्कि सीनियर खिलाड़ियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई बड़े खिताब जीते हैं, जिसमें 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में सबसे युवा खिलाड़ी के रूप में जीत शामिल है।
भारतीय शतरंज की नई दिशा
गुकेश की यह ऐतिहासिक जीत भारतीय शतरंज के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। विश्वनाथन आनंद के बाद से भारतीय शतरंज ने कई नए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को उभरते हुए देखा है, और अब डी गुकेश ने खुद को उस सूची में शीर्ष पर स्थापित किया है। उनकी इस सफलता से भारतीय शतरंज के युवा खिलाड़ियों को और भी अधिक प्रेरणा मिलेगी, और वे भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
डी गुकेश की इस अद्वितीय जीत ने न केवल शतरंज की दुनिया में उनकी पहचान मजबूत की है, बल्कि भारत को गर्व से भर दिया है। शतरंज के क्षेत्र में भारत के लिए यह जीत एक मील का पत्थर है, और इससे आने वाले समय में और भी बेहतरीन भारतीय खिलाड़ियों के उभरने की उम्मीद है।