बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी, एससी, और एसटी वर्गों के लिए आरक्षित सीटों में भारी कटौती के विरोध में ‘गिरफ्तार करो या न्याय दो’ आंदोलन का आयोजन किया। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस भवन से सिविल लाइन थाना तक एक विशाल रैली निकाली और फिर पुलिस लाइन ग्राउंड स्थित अस्थाई जेल में सामूहिक रूप से गिरफ्तारी दी।
इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा स्थानीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण में की गई कटौती के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना था। कांग्रेस नेताओं ने इसे ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के राजनीतिक अधिकारों का हनन करार दिया।
कांग्रेस ने भाजपा पर झूठे वादे करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में ओबीसी वर्ग को 50% आरक्षण देने की बात महज एक दिखावा है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने कहा, “भाजपा सरकार ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में आरक्षण के नाम पर ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के अधिकार छीन लिए हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी।”
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने आरक्षण की स्थिति को जानबूझकर कमजोर किया है, जिससे इन वर्गों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम हो गया है। पार्टी ने इसे सामाजिक न्याय पर हमला बताया है और स्पष्ट किया है कि जब तक यह मुद्दा सुलझ नहीं जाता, आंदोलन जारी रहेगा।
रैली और आंदोलन में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने हिस्सा लिया। नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर विरोध जताया। रैली में महिलाओं और युवाओं की भी बड़ी भागीदारी देखने को मिली।
यह आंदोलन न केवल सामाजिक न्याय का सवाल उठाता है, बल्कि राज्य में ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि भाजपा की नीतियां सामाजिक समरसता को नुकसान पहुंचा रही हैं और राजनीतिक सत्ता में इन वर्गों की भागीदारी को बाधित कर रही हैं।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन सिर्फ एक शुरुआत है। पार्टी ने सरकार से तुरंत आरक्षण व्यवस्था में सुधार करने और ओबीसी, एससी-एसटी वर्गों के साथ न्याय सुनिश्चित करने की मांग की है। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।