प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या स्नान पर संगम तट पर बड़ा हादसा हो गया। मंगलवार को लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए संगम नोज पर मौजूद थे, तभी अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में 17 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। हालांकि, मेला प्रशासन ने अब तक 17 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की है।
कैसे हुआ हादसा?
मौनी अमावस्या के स्नान के लिए संगम तट पर भारी भीड़ उमड़ी थी। लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पुण्य स्नान के लिए एकत्र हुए थे। इसी बीच संगम नोज पर अचानक भगदड़ मच गई, जिससे कई श्रद्धालु कुचल गए और हादसे में जान गंवा बैठे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भीड़ बहुत ज्यादा थी और प्रशासन भी इसे नियंत्रित करने में असमर्थ दिखा। भगदड़ के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। हादसे के तुरंत बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंचीं और घायलों को केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
शवों को ले जाती रहीं एंबुलेंस
घटना के बाद का मंजर दिल दहला देने वाला था। लगातार कई एंबुलेंस मृतकों के शवों को लेकर शहर की ओर जाती रहीं। हालांकि प्रशासन ने 17 लोगों की मौत की पुष्टि की है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या इससे अधिक हो सकती है।
संगम तट पर बढ़ाई गई सुरक्षा
इस हादसे के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है। संगम तट पर NSG कमांडो को तैनात कर दिया गया है और संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा, प्रयागराज में भीड़ को और बढ़ने से रोकने के लिए आसपास के जिलों में श्रद्धालुओं को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़
महाकुंभ के इस विशेष स्नान पर्व में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ी हुई है। प्रशासन के अनुमान के मुताबिक, आज संगम समेत 44 घाटों पर 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं। इससे पहले मंगलवार को भी 5.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी।
60 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात
मेले में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए 60 हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इसके बावजूद भगदड़ जैसी घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की है। साथ ही, भीड़भाड़ वाले इलाकों में सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि इस तरह की घटनाओं को दोबारा रोका जा सके।
यह हादसा महाकुंभ के इतिहास में एक और दुखद अध्याय जोड़ता है। प्रशासन को अब और कड़े इंतजाम करने होंगे ताकि आगे ऐसी दुर्घटनाएं न हों और श्रद्धालु सुरक्षित रह सकें।