Saturday, April 19, 2025
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नेता त्रिलोक श्रीवास ने लिया नामांकन वापस, कहा “किसी की औकात नहीं कि कोई मुझे डरा कर नाम वापस लेने को मजबूर कर सके”…

बिलासपुर: कांग्रेस नेता त्रिलोक चंद्र श्रीवास ने महापौर पद के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया है। उन्होंने यह फैसला कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं के निर्देशों और पारिवारिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए लिया। इस निर्णय के पीछे उन्होंने पार्टी की विचारधारा और चुनावी रणनीति को प्रमुख कारण बताया।

त्रिलोक श्रीवास, जो कि राष्ट्रीय समन्वयक- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, प्रभारी- प्रदेश कांग्रेस कमेटी उत्तर प्रदेश एवं गुजरात, सचिव- प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ और पीसीसी डेलीगेट छत्तीसगढ़ के पद पर कार्यरत हैं, ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अनुरोध पर उन्होंने यह कदम उठाया है।

पार्टी नेतृत्व और पारिवारिक संबंध बने वजह

मीडिया से बातचीत के दौरान श्रीवास ने बताया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, वरिष्ठ नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत और अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने उनसे चुनाव से हटने का आग्रह किया था। साथ ही, कांग्रेस के अधिकृत महापौर प्रत्याशी प्रमोद नायक से उनके 25 वर्षों से अधिक समय से पारिवारिक संबंध रहे हैं। प्रमोद नायक स्वयं उनके घर आकर भावनात्मक अपील कर चुके थे कि वे इस संघर्ष के समय में पार्टी और उन्हें समर्थन दें।

इन्हीं सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, त्रिलोक श्रीवास ने पार्टी की एकजुटता को प्राथमिकता देते हुए नामांकन वापस लेने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस की विचारधारा मेरे लिए सर्वोपरि है। जब पार्टी को मेरी जरूरत है, तो व्यक्तिगत हितों को पीछे रखना स्वाभाविक है।”

किसी दबाव में नहीं लिया निर्णय

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए श्रीवास ने साफ कहा कि यह निर्णय उन्होंने अपनी स्वेच्छा से लिया है और किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आए हैं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “किसी की औकात नहीं कि कोई मुझे डरा कर नाम वापस लेने को मजबूर कर सके।”

जनता से कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन की अपील

अपने बयान के अंत में त्रिलोक श्रीवास ने जनता से कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक को भारी मतों से जिताने की अपील की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और संगठन की मजबूती के लिए सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव में कार्य करना चाहिए।

त्रिलोक श्रीवास का यह कदम कांग्रेस पार्टी के भीतर एकता और अनुशासन को दर्शाता है। उनके इस फैसले से पार्टी को मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, और अब सभी की नजरें आगामी चुनावी परिणामों पर टिकी हैं।

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