बिलासपुर। अरपा भैंसाझार नहर परियोजना में हुए मुआवजा घोटाले ने सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। इस घोटाले में संलिप्त पाए जाने पर राज्य शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया है। शासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमितताएँ और वित्तीय भ्रष्टाचार सामने आने के बाद यह कार्रवाई अनिवार्य हो गई थी।
अरपा भैंसाझार नहर परियोजना के तहत उन किसानों को मुआवजा दिया जाना था, जिनकी भूमि इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई थी। लेकिन धीरे-धीरे किसानों के बीच इस मुआवजा वितरण में धांधली की शिकायतें बढ़ने लगीं। जांच में पाया गया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत लोगों को मुआवजा राशि जारी कर दी गई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
स्थानीय किसानों और सामाजिक संगठनों ने जब मुआवजा वितरण में अनियमितताओं को लेकर आवाज उठाई, तब सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान कई अहम खुलासे हुए—
- वास्तविक लाभार्थियों को उनकी हक की राशि नहीं मिली।
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई गैर-पात्र लोगों को मुआवजा दिया गया।
- सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी की गई, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
मुख्य आरोपी और कार्रवाई
जांच में राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को दोषी पाया गया, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। यह कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। इसके अलावा, सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस घोटाले में शामिल अन्य दोषियों पर भी जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का सख्त रुख
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साफ कर दिया है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि—
- भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
- घोटाले में शामिल अन्य दोषियों की भी जल्द पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
- पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए मुआवजा वितरण प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी।
भ्रष्टाचार पर कैसे लगेगी रोक?
इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए सरकार को कुछ अहम कदम उठाने की जरूरत है—
- डिजिटल ट्रांसपेरेंसी – मुआवजा वितरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए।
- सख्त निगरानी तंत्र – अधिकारी-कर्मचारियों पर सख्त निगरानी रखने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति की जाए।
- जनभागीदारी – प्रभावित किसानों और स्थानीय लोगों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल किया जाए, ताकि वे खुद इस तरह की गड़बड़ियों पर नजर रख सकें।
- दोषियों को कड़ी सजा – भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके।
अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा घोटाले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की सख्त जरूरत है। हालांकि, सरकार की ओर से की गई त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इस तरह की गड़बड़ियों को पूरी तरह रोकने के लिए मजबूत तंत्र विकसित करना अनिवार्य है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस घोटाले में अन्य दोषियों को कब तक पकड़ती है और भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।