छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार सुबह छापा मारा। यह छापेमारी राज्य में हुए 2100 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच के तहत की गई। ईडी की इस कार्रवाई के दौरान प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
ईडी का छापा और जब्ती
ईडी की टीम ने भिलाई-3 स्थित मानसरोवर कॉलोनी में भूपेश बघेल के घर और उनके नजदीकी लोगों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान ईडी ने नोट गिनने की मशीन मंगाई और घर के दस्तावेजों की बारीकी से जांच की। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के मुताबिक, ईडी की टीम उनके घर से 33 लाख रुपये नगद जब्त करके ले गई, जिसमें उनके परिवार का “स्त्रीधन” भी शामिल था।
ईडी की इस कार्रवाई में बघेल के परिवार के वाहनों की भी जांच की गई। इसके अलावा, उनके 150 एकड़ जमीन के दस्तावेज और एक पेन ड्राइव की जांच भी की गई।
छापेमारी के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध
ईडी की कार्रवाई की भनक लगते ही बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता बघेल के घर के बाहर जुट गए। कार्यकर्ताओं ने ईडी के खिलाफ नारेबाजी की, धरने पर बैठ गए और पुतला दहन किया। कुछ कार्यकर्ताओं ने नगाड़े बजाकर विरोध जताया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई, जिसके बाद सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ी बुलाई गई।
ईडी अधिकारियों के मुताबिक, जब वे जांच पूरी कर वापस लौट रहे थे, तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनकी कारों पर हमला कर दिया। एक उप निदेशक स्तर के अधिकारी की कार को खासतौर पर निशाना बनाया गया।
विधानसभा में भी गूंजा मुद्दा
भूपेश बघेल पर ईडी की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में हंगामा किया। कई विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भगृह तक पहुंच गए, जिसके चलते सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद कांग्रेस के 14 विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद विधायक सदन के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए।
क्या है 2100 करोड़ का कथित शराब घोटाला?
ईडी की यह कार्रवाई 2100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ी हुई है, जिसमें राज्य के पूर्व अधिकारियों, व्यापारियों और नेताओं की संलिप्तता का आरोप है। जांच एजेंसी ने इस मामले में पहले ही कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और पूर्व बीएसपी कर्मचारी अरविंद सिंह शामिल हैं। इन सभी की न्यायिक हिरासत 28 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है।
इसके अलावा, ईडी ने अपने आरोप पत्र में 20 नए आरोपियों के नाम जोड़े हैं, जिसमें नवीन केडिया, भूपेंद्र सिंह भाटिया और राजेंद्र जायसवाल भी शामिल हैं। इस घोटाले में शराब डिस्टलरी मालिकों को भी आरोपी बनाने की याचिका पर 20 मार्च को सुनवाई होगी।
भूपेश बघेल ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक बताया
ईडी की छापेमारी के बाद भूपेश बघेल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि “यह कार्रवाई विधानसभा में मेरे सवाल उठाने का नतीजा है। जब पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने सवाल उठाया था, तब उनके यहां भी छापा मारा गया था।”
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में “कई तरह के घोटाले हुए, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग पहले ही जेल में हैं और कुछ और भी जल्द जेल जाने वाले हैं।
छत्तीसगढ़ में ईडी की छापेमारी ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। भूपेश बघेल इस कार्रवाई को केंद्र सरकार की राजनीतिक साजिश बता रहे हैं, जबकि भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जरूरी कदम मान रही है। विधानसभा से लेकर सड़कों तक विरोध और हंगामे के बीच अब देखना होगा कि इस घोटाले की जांच आगे क्या मोड़ लेती है और क्या इसमें और बड़े नाम सामने आते हैं।