Saturday, March 15, 2025
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बिलासपुर प्रेस क्लब फाग महोत्सव में बही लोकसंस्कृति की बयार: रंग-गुलाल संग सियासी सरहदें भी हुईं धुंधली…

बिलासपुर में आयोजित भव्य फाग महोत्सव ने रंग, संगीत और उत्साह का ऐसा माहौल रचा कि राजनीतिक मतभेद भी उत्सव की उमंग में घुलते नजर आए। बिलासपुर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में जहां फाग मंडलियों ने अपनी प्रस्तुति से समां बांधा, वहीं मंच पर उस वक्त दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला, जब कांग्रेस विधायक की फाग धुन पर भाजपा विधायक भी झूम उठे। इस आयोजन ने न केवल लोकसंस्कृति को जीवंत किया, बल्कि राजनीतिक सौहार्द की भी मिसाल पेश की।

फाग के रंग में सराबोर बिलासपुर

रंगों और संगीत के इस उत्सव में बिलासपुर और आसपास के जिलों से करीब 15 फाग मंडलियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का आगाज दोपहर 2 बजे हुआ और यह शाम 6:30 बजे तक चलता रहा। कलाकारों ने अपने गायन और नृत्य से ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

ढोल, मंजीरा, झाल और मृदंग की ताल पर जब राधा-कृष्ण की होली, ब्रज की रासलीला और पारंपरिक फाग गीत गूंजे, तो पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। पारंपरिक लोकगीतों और उनकी सुरीली प्रस्तुति ने हर किसी को झूमने पर मजबूर कर दिया।


राजनीतिक मतभेदों के पार: जब विधायकों ने एक साथ झूमा मंच

इस उत्सव में बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला और मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया सहित कई अतिथि शामिल हुए। लेकिन माहौल तब और रंगीन हो गया, जब कांग्रेस विधायक दिलीप लहरिया ने फाग की धुन छेड़ी और भाजपा के विधायक भी झूमने लगे। मंच पर कलाकारों के साथ दर्शकों का भी उत्साह देखते ही बन रहा था।

होली का यह रंग सियासी सरहदों से परे था—एक ऐसा दृश्य, जो यह साबित करता है कि संगीत और उत्सव किसी बंधन में नहीं बंधते। यह क्षण बिलासपुरवासियों के लिए यादगार बन गया, जब नेता भी जनता के साथ लोकधुनों में खो गए।


प्रतियोगिता में विजेताओं का सम्मान

फाग महोत्सव के दौरान हुई प्रतियोगिता में सभी मंडलियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ पत्रकार रूद्र अवस्थी, दिनेश दुबे और हरिप्रसाद सोनी शामिल थे, जिन्होंने गायन की शुद्धता, ताल-लय और प्रस्तुति के आधार पर मंडलियों का मूल्यांकन किया।

पुरस्कार विजेताओं में—

  • प्रथम पुरस्कार (₹21,000) – देवतरा की टीम
  • द्वितीय पुरस्कार (₹11,000) – ठकुरिकापा मंडली
  • तृतीय पुरस्कार (₹5,100) – महामाया फाग मंडली
  • विशेष पुरस्कार (₹2,100) – धरमपुरा मंडली

सभी विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।


लोकसंस्कृति को जीवित रखने का संकल्प

बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली ने कहा कि इस परंपरा को जीवंत रखने के लिए वे हर साल इस आयोजन को और भव्य बनाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल लोक कलाकारों को मंच मिलता है, बल्कि संस्कृति का संरक्षण भी होता है

कार्यक्रम में मौजूद पूर्व सांसद लखनलाल साहू, महापौर पूजा विधानी, डॉ. उज्जवला कराडे, डॉ. श्रीकांत गिरी, डॉ. विनोद तिवारी, समाजसेवी प्रवीण झा, सभापति विनोद सोनी सहित गणमान्य नागरिकों ने इस पहल की सराहना की।


भजिया, चटनी और ठंडाई का आनंद

त्योहार की रौनक को बढ़ाते हुए प्रेस क्लब ने सभी आगंतुकों के लिए गरमागरम भजिया, टमाटर की चटनी और ठंडाई का इंतजाम किया। दोपहर से शाम तक लोगों ने इन स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया और कार्यक्रम को पूरी तरह से जीया।


जब राजनीति भी रंगों में घुल गई

बिलासपुर में आयोजित फाग महोत्सव सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और सौहार्द का संगम था। जब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी संगीत की धुन पर झूमने लगें, तो यह संदेश स्पष्ट होता है—होली का रंग सबसे बड़ा होता है!

कार्यक्रम में विशेष रूप से पूर्व सांसद लखनलाल साहू, महापौर पूजा विधानी, डॉ उज्जवला कराडे, डॉ श्रीकांत गिरी, डॉक्टर विनोद तिवारी, समाजसेवी प्रवीण झा, सीएमएचओ प्रमोद तिवारी, सभापति विनोद सोनी, एमआईसी के मेंबर, पार्षद, कांग्रेस और भाजपा के नेता, वरिष्ठ पत्रकार ज्ञान अवस्थी, सतीश जायसवाल, रुद्र अवस्थी के अलावा के अलावा गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

वहीं बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली, सचिव दिलीप यादव, सहसचिव दिलीप जगवानी, कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक, कार्यकारिणी सदस्य गोपीनाथ डे, के अलावा वरिष्ठ पत्रकार कमलेश शर्मा, अखलाख अजीज खान, रवि शुक्ला, राजेश दुआ, दिनेश ठक्कर, लोकेश वाघमारे, जेपी अग्रवाल, पंकज गुप्ते,शाहिद अली, जितेंद्र थवाईत, अखिल वर्मा, दिलीप अग्रवाल, नरेंद्र सिंह बुटी, हीरा जी राव सदाफले, श्याम पाठक, विशाल झा, निशांत तिवारी, सतीश मिश्रा, अजीत मिश्रा, नीरजधर दीवान, भास्कर मिश्रा सहित अन्य पत्रकार साथी मौजूद रहे।

इस आयोजन ने यह साबित किया कि संगीत और लोकसंस्कृति की शक्ति इतनी बड़ी है कि वह किसी भी मतभेद को भुला सकती है। बिलासपुर प्रेस क्लब की यह पहल आने वाले वर्षों में भी लोकसंस्कृति को सहेजने और सामूहिक सौहार्द बढ़ाने का कार्य करती रहेगी

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