धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल वन परिक्षेत्र के किदा बीट अंतर्गत ग्राम जामपाली में फिर एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। वन विभाग की लापरवाही से एक नन्हे हाथी की तालाब में डूबने से मौत हो गई है। यह हादसा 17 मार्च 2025 की रात को हुआ, जब यह हाथी का बच्चा तालाब में गिर गया और दुर्भाग्यवश डूबकर अपनी जान गंवा बैठा।
इस तरह की घटनाएं वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर गंभीर सवाल उठाती हैं। हाथी एक संरक्षित प्रजाति हैं और इन्हें बचाने के लिए वन विभाग की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। धरमजयगढ़ वन मंडल, जो पहले से ही हाथियों की आवाजाही और उनकी सुरक्षा को लेकर संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, इस घटना के बाद चर्चा का केंद्र बन गया है। वन विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और हाथी के मृत शरीर को तालाब से निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
वन विभाग की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि घटना की पूरी जानकारी के बाद ही सही कारणों का पता चल सकेगा। हालांकि, यह घटना वन विभाग के कामकाज पर फिर से सवाल उठाती है, खासकर जब यह पहले से ही हाथियों के संरक्षण में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। वन विभाग की टीम हाथी बच्चे की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पूरी तरह से जांच में जुटी हुई है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह तालाब में डूबने का मामला है।
यह घटना वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था में खामियों की ओर इशारा करती है। यह आवश्यक है कि वन विभाग ऐसे क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखे, जहां हाथियों के आने-जाने की संभावना होती है। हाथी जैसे बड़े और बुद्धिमान जीवों के लिए तालाब और अन्य जल स्रोतों के पास विशेष सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि वन विभाग की तरफ से उचित कदम नहीं उठाए गए थे, जिससे यह हादसा हुआ।
यह घटना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है और वन विभाग को अपने प्रयासों को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, और जागरूकता की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।