बिलासपुर, छत्तीसगढ़: नगर पालिका निगम और जिला प्रशासन द्वारा इन दिनों शहर को सुव्यवस्थित और सुगम बनाने के लिए अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा रही है। इन कार्रवाइयों में नाले-नालियों के ऊपर बने निर्माण, बिना पार्किंग के व्यावसायिक परिसरों, और आवासीय के नाम पर किए गए व्यावसायिक निर्माणों को निशाना बनाया जा रहा है। यह कार्रवाई पूर्व सूचना, नोटिस, मुनादी और चूना लाइन मार्किंग जैसी प्रक्रियाओं के पालन के बाद की जा रही है।
प्रशासन का तर्क है कि यदि शहर की भावी आवश्यकता और सुव्यवस्थित विकास की कल्पना को साकार करना है तो यह कार्रवाई आवश्यक है। जनता को प्रशासन का साथ देना और इन सुधारों में सहयोग करना आवश्यक बताया गया है।
इसी संदर्भ में भाजपा नेता मनीष अग्रवाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि आज कांग्रेस नेता इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और गरीबों की दुहाई दे रहे हैं, तो उन्हें वर्ष 2020 की उस घटना को भी याद करना चाहिए जब कांग्रेस सरकार के शासनकाल में कोविड काल के दौरान अतिक्रमण हटाने की सख्त कार्रवाई हुई थी।
अग्रवाल ने कहा कि 11 जून से 27 जून 2020 के बीच शनिचरी बाजार, लकड़ी टाल मोहल्ला, गोंडपारा, सफाईकर्मी बस्ती आदि क्षेत्रों में अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाए गए थे। इस कार्रवाई से कई गरीब परिवार प्रभावित हुए, जिनमें से कुछ को गंभीर भावनात्मक और सामाजिक आघात झेलना पड़ा। उन्होंने परमेश्वर शर्मा और राजेंद्र शर्मा की माता जी के निधन को उस समय की कार्रवाई से जोड़ते हुए उदाहरण प्रस्तुत किया।
भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि उस समय कांग्रेस के मंत्री, विधायक और महापौर इस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए जनता को “लोक लुभावने भाषण” दे रहे थे। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि तब की कार्रवाई मानवीय और वैध मानी गई थी, तो आज की कार्रवाई को अमानवीय कैसे कहा जा सकता है?
यह मुद्दा केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी बन गया है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता अपने कार्यकाल में बिलासपुर शहर के लिए कोई ठोस विकास कार्य नहीं कर पाए। उनका आरोप है कि केवल “झूठी वाहवाही” और “छत्तीसगढ़िया वाद” के भावनात्मक प्रचार के सिवाय कोई ठोस उपलब्धि सामने नहीं आई।
बिलासपुर में वर्तमान में चल रही अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई एक व्यापक शहर नियोजन का हिस्सा है, जिसे प्रशासन नियमानुसार और पूर्व सूचना के आधार पर अंजाम दे रहा है। किंतु जब यह कार्रवाई राजनीति के केंद्र में आ जाती है, तो सवाल यह उठता है कि अतीत और वर्तमान में दोहरे मापदंड क्यों अपनाए जाते हैं? यदि कानून सबके लिए बराबर है, तो कार्रवाई भी पक्षपात रहित और समान रूप से न्यायपूर्ण होनी चाहिए।
शहर के विकास और नागरिक सुविधा के लिए जरूरी है कि प्रशासन और जनता मिलकर काम करें, और राजनीतिक दल जनहित में सकारात्मक भूमिका निभाएं – न कि केवल विरोध के लिए विरोध करें।