रायपुर। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में 68 नई शराब दुकानें खोलने के फैसले को लेकर सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। रायपुर में कांग्रेस ने इस फैसले का अनोखे अंदाज में विरोध किया। विरोध की पारंपरिक शैली को छोड़कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने “शराब उत्सव” का आयोजन किया और विरोध को व्यंग्यात्मक और प्रतीकात्मक रूप दिया।
पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ता एक शराब दुकान के बाहर एकत्र हुए, जहां उन्होंने शराब पीने आए लोगों का बाजे-गाजे के साथ स्वागत किया। कार्यकर्ताओं ने शराबियों को तिलक लगाकर उन्हें “आदरपूर्वक” आमंत्रित किया और चना-चखना भी परोसा। यह पूरा प्रदर्शन एक उत्सव जैसे माहौल में हुआ, लेकिन इसके पीछे संदेश बेहद गंभीर था।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियाँ जनस्वास्थ्य और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ हैं। विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि “प्रदेश में बेरोजगारी, नशाखोरी और अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और सरकार शराब से राजस्व कमाने की लालसा में समाज को गर्त में ढकेल रही है।”
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई शराब दुकानों को खोलना न केवल ग्रामीण और शहरी युवाओं को नशे की दलदल में धकेलने जैसा है, बल्कि महिलाओं और परिवारों के सामाजिक ताने-बाने को भी तोड़ने जैसा कदम है।
विपक्ष का यह भी आरोप है कि भाजपा सरकार शराबबंदी के वादे को भुलाकर नशाखोरी को संरक्षित कर रही है, जिससे अपराध, घरेलू हिंसा और सामाजिक समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं।
कांग्रेस का सवाल:
– क्या यही है भाजपा का “सुशासन”?
– क्या राजस्व के लिए समाज की कीमत पर फैसले लेना न्यायसंगत है?
– क्या यह सरकार गरीबों के घर उजाड़कर शराब से खजाना भरना चाहती है?
कांग्रेस का यह प्रदर्शन एक प्रतीकात्मक विरोध था, लेकिन इसके जरिए जो संदेश दिया गया, वह राज्य की शराब नीति और सरकार की प्राथमिकताओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस अनोखे विरोध पर क्या प्रतिक्रिया देती है और शराब नीति को लेकर कोई पुनर्विचार होता है या नहीं।