बिलासपुर, 9 जुलाई 2025। केंद्र सरकार की नई श्रम संहिताओं और कोयला क्षेत्र में निजीकरण की नीतियों के खिलाफ देशभर में श्रमिक संगठनों ने बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन किया। इस आंदोलन की गूंज छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी सुनाई दी, जहां एसईसीएल (SECL) मुख्यालय के समक्ष कोल माइंस कर्मचारियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और कामकाज का बहिष्कार कर सरकार के खिलाफ नाराज़गी जताई।
प्रदर्शनकारी श्रमिकों और ट्रेड यूनियन नेताओं ने सरकार पर मजदूर विरोधी नीतियां थोपने का आरोप लगाया। उनके अनुसार, केंद्र द्वारा लागू की गई चारों नई श्रम संहिताएं —
- मजदूरी संहिता,
- औद्योगिक संबंध संहिता,
- सामाजिक सुरक्षा संहिता,
- व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता —
मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करती हैं और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के इरादे से बनाई गई हैं।
संहिताओं पर मुख्य आपत्तियाँ:
- सुरक्षा और वेतन में कटौती की आशंका: नई नीतियों से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित होंगी।
- संघ बनाने के अधिकारों पर संकट: औद्योगिक संबंध संहिता के तहत यूनियनों के पंजीकरण और हड़ताल के अधिकार को सीमित किया गया है।
- नौकरी की स्थिरता में कमी: ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिलने की आशंका, जिससे नौकरी स्थायित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
निजीकरण के खिलाफ गुस्सा
प्रदर्शन कर रहे संयुक्त कोल यूनियन के प्रतिनिधियों ने कोयला क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे निजीकरण पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि देश के खनिज संसाधनों को निजी हाथों में सौंपने से न केवल श्रमिकों की आजीविका खतरे में पड़ेगी, बल्कि यह सार्वजनिक संपत्ति की खुली लूट है।
संघर्ष की चेतावनी
यूनियन नेताओं ने साफ शब्दों में सरकार को चेतावनी दी कि अगर श्रमिक हितों की अनदेखी बंद नहीं हुई और श्रम संहिताओं को वापस नहीं लिया गया, तो यह हड़ताल महज शुरुआत होगी। उन्होंने देशभर में और तेज़ एवं व्यापक आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया।
जनता और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बिलासपुर के प्रदर्शन को लेकर स्थानीय लोगों और कुछ राजनीतिक दलों ने भी समर्थन जताया है। उनका मानना है कि श्रमिकों की बात को सुनना और उनके अधिकारों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।