Thursday, July 10, 2025
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छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की बड़ी कार्रवाई: पहली बार 22 आबकारी अधिकारियों पर गिरा निलंबन का गाज, देखिए सरकारी आदेश…

रायपुर, 10 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह मामला राज्य के बहुचर्चित आबकारी घोटाले से जुड़ा है, जिसमें कुल 29 अधिकारी आरोपी बनाए गए थे। इनमें से सात अधिकारी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि शेष 22 अधिकारियों के विरुद्ध अब अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए निलंबन का आदेश जारी किया गया है।

निलंबित अधिकारियों में शामिल हैं वरिष्ठ अधिकारी

इस कार्रवाई में कई वरिष्ठ और उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं, जिनमें जिला आबकारी अधिकारी, उपायुक्त और सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारी भी हैं। निलंबित अधिकारियों की सूची में जनार्दन कौरव, अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पाटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, अलेख राम सिदार, आशीष कोसम, राजेश जायसवाल, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, नीतू नोतानी ठाकुर और नोहर सिंह ठाकुर के नाम शामिल हैं।

शराब घोटाले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

शराब घोटाले में इन अधिकारियों पर शराब वितरण, संग्रहण और बिक्री में व्यापक वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। कथित रूप से, शराब की खरीद-बिक्री से जुड़ी योजनाओं में घोटाला कर राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।

सरकार का सख्त रुख

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अब किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारियों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले ने शासन व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए थे। ऐसे में सरकार द्वारा लिया गया यह सख्त निर्णय आने वाले समय में अन्य विभागों के लिए भी एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

आगे और भी हो सकती हैं कार्रवाई

सूत्रों की मानें तो यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। जांच में जो अन्य अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी निलंबन व कानूनी कार्यवाही की जाएगी। विभागीय स्तर पर आंतरिक ऑडिट और सतर्कता रिपोर्ट के आधार पर आगे की प्रक्रिया तय की जा रही है।

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